जम्‍मू-कश्‍मीर में 78 दिनों में 11 हमले, जानिए क्‍या है इसका पाकिस्‍तान कनेक्‍शन

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जम्मू-कश्मीर ने फिर सेना के जवानों को आतंकियों ने निशाना बनाया है. अनंतनाग में शनिवार को कोकेरनाग वन क्षेत्र में सुरक्षाबलों और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ के बाद दो सैनिक शहीद हो गए और 5 घायल बताए जा रहे हैं.

अहलान गडोले के जंगलों में चल रहे ऑपरेशन में आतंकवादियों की अंधाधुंध, हताश और लापरवाह गोलीबारी के कारण दो नागरिकों के घायल होने की भी सूचना है. पिछले कुछ महीनों से जम्‍मू-कश्‍मीर में आतंकी हमले काफी बढ़ गए हैं. ज्‍यादातर हमले जम्‍मू रीजन में देखने को मिले हैं, जिसे सेना आतंकियों की हताशा करार दे रही है.

ये आतंकियों की हताशा
दरअसल, कश्‍मीर में सेना ने सुरक्षा काफी कड़ी कर रखी है. अमरनाथ यात्रा को लेकर भी सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गए. ऐसे में हताश आतंकी अब जम्‍मू पर फोकस कर रहे हैं. पिछले कुछ महीनों में कश्‍मीर की बजाए जम्‍मू में ज्‍यादा आतंकी हमले हुए हैं. फिर चाहे रियासी में श्रद्धालुओं की बस पर किया गया हमला हो, या फिर सेना के वाहन पर किया गया हमला. हालांकि, ताजा हमला आनंतनाग में हुआ है, जिसमें 2 जवान शहीद हो गए हैं और 5 घायल हैं.

आनंतनाग में 1 साल में दूसरा बड़ा हमला
सेना के सूत्रों ने बताया कि आतंकियों ने सेना पर पहले गोलीबारी की, जिसमें बाद जवाबी फायरिंग की गई. इस गोलीबारी की चपेट में से नागरिक भी गए, जो घायल हुए हैं. सेना ये भी जांच रही है कि कहीं घायल नागरिकों का आतंकियों के साथ संबंध तो नहीं हैं? आनंतनाग में बीते एक साल में ये दूसरा बड़ा आतंकी हमला है. पिछले साल सितंबर महीने में आनंतनाग में आतंकियों ने हमला किया था, जिसमें कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष धोनैक और जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीएसपी हुमायूं भट शहीद हो गए थे.

जम्‍मू में 78 दिनों में 11 हमले
28 अप्रैल को उधमपुर के एक गांव में आतंकियों ने हमला कर दिया था. इस हमले में एक सुरक्षाकर्मी की मौत हो गई थी. 4 मई को पुंछ के शाहसितार में वायुसेना के जवानों के एक काफिले को निशाना बनाया गया, जिसमें 1 जवान शहीद और 5 घायल हुए थे.

9 जून को जम्‍मू के रियासी में शिव मंदिर शिव खोड़ी से कटरा जा रही बस पर आतंकियों ने अंधाधुंध गालियां चला दी थी, जिसमें ड्राइवर समेत 9 लोगों की मौत हो गई थी.

11 जून को पहला हमला डोडा के चत्‍तरगाला चेकप्‍वाइंट पर हमले में 1 एसपीओ और 5 जवान घायल हो गए थे. 11 जनू को ही दूसरा हमला कठुआ के हीरानगर में हुआ था, जिसमें एक सीआरपीएफ कॉन्‍स्‍टेबल शहीद हो गए. वहीं 2 आतंकियों को भी सुरक्षाकर्मियों ने ढेर कर दिया था.

12 जून को डोडा के गंडोह में सर्च टीम पर हुए हमले में 1 एक पुलिसकर्मी घायल हो गया था. 26 जून को डोडा के गंडोह में आतंकियों से हुई मुठभेड़ में एक जवान शहीद हो गया और तीन आतंकी मारे गए थे.

7 जुलाई को राजौरी के मंजाकोट में आतंकी हमला हुआ , जिसमें एक जवान शहीद हो गया था. 8 जुलाई कठुआ में आतंकियों ने सेना के ट्रक पर हमला कर दिया था. इस हमले में 5 जवान शहीद हो गए थे. 9 जुलाई में डोडा के गढी भगवा इलाके में आतंकियों की सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ हुए थी.

15 जुलाई को डोडा जिले में ही एक सर्च ऑपरेशन के दौरान आंतकियों ने सेना के जवानों पर हमला कर दिया था. इस हमले में 5 जवान शहीद हो गए थे.

सेना के सूत्रों का कहना है कि जम्‍मू के डोडा इलाके में कुछ आतंकियों के छुपे होने की आतंका है, जो कई हमलों को अंजाम दे चुके हैं. ये आतंकी सीमा पार से आए हैं. ये भी बताया जा रहा है कि ये प्रशिक्षित आतंकी हैं, जिन्‍हें ऐसे हमले करने के लिए तैयार किया गया है. इनके पीछे पाकिस्‍तान का हाथ है. जम्‍मू-कश्‍मीर में जब से चुनाव कराने की बात कही गई है, तब से हमलों की संख्‍या बढ़ गई है.

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