कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे.
भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना सर्वोच्च न्यायालय परिसर में एक समारोह में सुप्रीम कोर्ट के अन्य न्यायाधीशों की उपस्थितियों में न्यायमूर्ति बागची को पद की शपथ दिलाएंगे.
न्यायमूर्ति बागची के शपथ लेने के बाद, सुप्रीम कोर्ट में 33 न्यायाधीश हो जाएंगे. न्यायमूर्ति बागची का शीर्ष न्यायालय में छह साल से अधिक का कार्यकाल होगा, जिसमें वह सीजेआई के रूप में भी काम करेंगे. 3 अक्टूबर 1966 को जन्में न्यायमूर्ति बागची 25 मई 2031 को न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की रिटायरमेंट के बाद सीजेआई का पद संभालेंगे.
न्यायमूर्ति बागची के नाम को केंद्र सरकार ने 10 मार्च को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए मंजूरी दे दी थी. 6 मार्च को CJI खन्ना की अध्यक्षता वाले पांच सदस्यीय कॉलेजियम ने सुप्रीम कोर्ट के जज के लिए उनके नाम की सिफारिश की थी.
कॉलेजियम – जिसमें जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस विक्रम नाथ भी शामिल थे – ने नोट किया कि 18 जुलाई, 2013 को जस्टिस अल्तमस कबीर के रिटायरमेंट के बाद से कलकत्ता उच्च न्यायालय का कोई भी न्यायाधीश CJI नहीं बन पाया है. जस्टिस बागची को 27 जून, 2011 को कलकत्ता उच्च न्यायालय में न्यायाधीश नियुक्त किया गया था. उन्हें 4 जनवरी, 2021 को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया था.
उन्हें 8 नवंबर, 2021 को कलकत्ता उच्च न्यायालय में वापस भेज दिया गया था और तब से वे वहीं कार्यरत थे. उन्होंने 13 साल से अधिक समय तक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्य किया है और मुख्य न्यायाधीशों सहित उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की संयुक्त अखिल भारतीय वरिष्ठता में क्रम संख्या 11 पर हैं.
अपने लंबे कार्यकाल के दौरान, जस्टिस बागची ने कानून के विविध क्षेत्रों में महत्वपूर्ण अनुभव प्राप्त किया.