Delhi Air Pollution: दिल्ली में अब प्रदूषण पर लगेगी लगाम, 156 ऊंची इमारतों पर एंटी स्मॉग गन की गई तैनात
वायु प्रदूषण से जंग में दिल्ली की 156 ऊंची इमारतों पर एंटी स्मॉग गन तैनात की गईं हैं। इसके जरिए ज्यादा प्रदूषण वाले दिनों में पानी की महीन बूंदों का छिड़काव किया जा सकेगा।
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) की रिपोर्ट के मुताबिक इनमें सरकारी इमारतों के साथ ही निजी भवन भी शामिल हैं। पहले चरण में दिल्ली की ऐसी ऊंची इमारतों की पहचान की गई जो मुख्य सार्वजनिक जगहों पर मौजूद हैं और जिनके आसपास यातायात काफी ज्यादा रहता है। एंटी स्माग गन से पानी की बारीक बूंदों का छिड़काव वायुमंडल में किया जाता है, जिसके चलते वायु मंडल में मौजूद प्रदूषण के कण पानी की बूंदों से मिलने के चलते नीचे जमीन पर बैठ जाते हैं और प्रदूषण के स्तर में कमी आती है।
90 निजी भवनों में लगी एंटी स्मॉग गन
डीपीसीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक कुल 156 ऊंची इमारतों पर एंटी स्मॉग गन की तैनाती की गई है। इसमें 66 सरकारी और 90 निजी भवन शामिल हैं। इनमें से 85 इमारतों पर लगी एंटी स्मॉग गन की निर्देशन डीपीसीसी द्वारा किया जाता है।
27 इमारतों पर लगी एंटी स्मॉग गन का निर्देशन एनबीसीसी द्वारा किया जाता है। नगर निगम, छावनी बोर्ड, डीडीए, एनडीएमसी, पीडब्ल्यूडी आदि विभागों को भी ऐसी अन्य इमारतों की पहचान करने के निर्देश दिए गए हैं, जहां पर अभी और एंटी स्मॉग गन लगाई जा सके।
प्रदूषण से जंग के लिए डीपीसीसी ने मांगे सुझाव
प्रदूषण से जंग, कार्यप्रणाली में सुधार एवं अपने पोर्टल पर उपलब्ध ऑनलाइन आंकड़ों का सदुपयोग करने के लिए दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण (डीपीसीसी) अब विशेषज्ञों के सुझावों पर आगे कदम बढ़ाएगी। इस निमित्त डीपीसीसी ने सोमवार को ‘एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट’ नोटिस भी जारी किया है। इसके तहत सभी सुझाव 15 अप्रैल तक भेजने को कहा गया है।
डीपीसीसी के अतिरिक्त निदेशक पंकज कपिल की ओर से निकाले गए ईओआइ नोटिस के अनुसार डीपीसीसी इस समय छह अलग- अलग पोर्टल चला रहा है। इनके जरिये वह अलग अलग मामलों में ऑनलाइन स्वीकृति दे रहा है, वायु और ध्वनि प्रदूषण की निगरानी कर रहा है, ग्रीन दिल्ली एप पर जनता की प्रदूषण संबंधी शिकायतों पर कार्रवाई कर रहा है, धूल नियंत्रण पोर्टल भी चला रहा है।
सभी छह पोर्टल पर रोजाना आंकड़ों को अपडेट किया जाता है। डीपीसीसी अपने इन पोर्टल और आंकड़ों का विश्लेषण चाहती है। वह चाह रही है कि विशेषज्ञों के स्तर पर सुझाव सामने आएं कि दिल्ली को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए और क्या- क्या किया जा सकता है, किया जाना चाहिए। यही नहीं, मौजूदा स्थितियों को बेहतर बनाने में आंकड़े किस तरह उपयोगी हो सकते हैं।
साथ ही वह अपनी स्वयं की कार्यप्रणाली में भी अपेक्षित सुधार करना चाहती है। अधिकारियों के मुताबिक चयनित विशेषज्ञ एजेंसियों को विश्लेषण करने के लिए आठ सप्ताह का समय दिया जाएगा। इसके बाद उस विश्लेषण पर ही आगे की कार्ययोजना के लिए विचार- विमर्श किया जाएगा।
डीपीसीसी के छह पोर्टल
ऑनलाइन कंसेंट मैनेजमेंट एंड मॉनिटरिंग सिस्टम
कंटीन्यूअस एमिशन मॉनिटरिंग सिस्टम
ग्रीन दिल्ली एप
डस्ट पल्यूशन कंट्रोल सेल्फ असेसमेंट
रियल टाइम एंबियंट नोयज मॉनिटरिंग नेटवर्क
रियल टाइम एंबियंट एयर क्वालिटी डेटा