केंद्रीय ट्रेड यूनियनों (Central Trade Unions) ने आज और कल भारत बंद (Bharat Bandh) की घोषणा की है.
भारत बंद का आह्वान केंद्र सरकार की उन नीतियों के विरोध में किया गया है, जिनका असर कर्मचारी, किसान और आम लोगों पर पड़ रहा है. इस बंद को अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ ने अपना समर्थन देने की घोषणा की है.
केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के एक संयुक्त मंच द्वारा राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया गया है. ये हड़ताल श्रमिकों, किसानों और लोगों को प्रभावित करने वाली सरकारी नीतियों के विरोध में की जा रही है.
ऑल इंडियन ट्रेड यूनियन कांग्रेस की महासचिव अमरजीत कौर ने पीटीआई को बताया कि इस हड़ताल में 20 करोड़ से अधिक कार्यकर्ताओं की भागीदारी की उम्मीद है.
इस हड़ताल में बैंक कर्मचारी भी हिस्सा लेंगे. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्राइवेटाइजेशन की सरकार की योजना के साथ-साथ बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक 2021 के विरोध में बैंक यूनियन हड़ताल में शिरकत कर रही है.
देश के सबसे प्रमुख बैंक भारतीय स्टेट बैंक सहित कई बैंकों ने बयान जारी कर ग्राहकों को सूचित किया है कि सोमवार और मंगलवार को बैंकिंग सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं.
डाक, आयकर, तांबा और बीमा जैसे कई अन्य क्षेत्रों के कर्मचारियों के हड़ताल में भाग लेने की संभावना है. साथ ही रेलवे और रक्षा क्षेत्र से जुड़ी यूनियन भी बंद के समर्थन में सड़कों पर उतर सकती हैं. जबकि रोडवेज, परिवहन और बिजली विभगा के कर्मचारी भी इस हड़ताल का हिस्सा बनेंगे.
विद्युत मंत्रालय ने आज सभी सरकारी कंपनियों और अन्य एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रहने को कहा है. साथ ही 24 घंटे बिजली आपूर्ति और राष्ट्रीय ग्रिड की स्थिरता सुनिश्चित करने की सलाह भी दी गई है.
मंत्रालय की सलाह में कहा गया है कि अस्पतालों, रक्षा और रेलवे जैसी आवश्यक सेवाओं में लगे लोगों को बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित की जानी चाहिए. किसी भी तरह की स्थिति से निपटने के लिए 24×7 नियंत्रण कक्ष स्थापित करने का सुझाव दिया गया है.
भारतीय मजदूर संघ ने ऐलान किया है कि वो हड़ताल में शामिल नहीं होगा. संघ ने इस भारत बंद राजनीति से प्रेरित बताया है. मजदूर संघ के मुताबिक इस बंद का मकसद चुनिंदा राजनीतिक दलों के एजेंडे को आगे बढ़ाना है.
भारत बंद को अखिल भारतीय असंगठित कामगार और कर्मचारी कांग्रेस की तरफ से समर्थन मिला है. कांग्रेस की तरफ से कहा गया है कि राहुल गांधी बंद में शामिल वर्गों की मांगों के पक्ष में अपनी बात रखते रहे हैं.
बंगाल सरकार ने 28 और 29 मार्च को किसी भी कर्मचारी को कोई आकस्मिक अवकाश या आधे दिन की छुट्टी देने से साफ मना किया है. सरकार ने कहा कि यदि कोई कर्मचारी छुट्टी लेता है, तो इसे आदेश का उल्लंघन माना जाएगा और इसका असर उसके वेतन पर भी पड़ेगा.