दिल्ली के कई इलाकों में पारा 40 के पार, आने वाले 4 दिनों में इन इलाकों में लू का कहर

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दिल्ली, उत्तर प्रदेश समेत देश के ज्यादातर मैदानी इलाकों में गर्मी अप्रैल में भी कहर बरपाती दिख रही है. दिल्ली में रविवार को कई इलाकों में 40 डिग्री सेल्सियस के पार चला गया है.

दिल्ली में औसत अधिकतम तापमान सामान्य से 6 डिग्री अधिक 39.4 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने ये आंकड़े जारी किए हैं और आने वाले दिनों में दिल्ली, उत्तर प्रदेश समेत कई इलाकों में लू के थपेड़े चलने की चेतावनी जारी की गई है.

दिल्ली में दिन का न्यूनतम तापमान सामान्य से 1 डिग्री अधिक 19.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. जबकि सापेक्षिक आर्द्रता 69 प्रतिशत से 14 प्रतिशत के बीच रही.

आईएमडी ने कहा कि पालम मौसम केंद्र में अधिकतम तापमान 40.2 डिग्री सेल्सियस, लोधी रोड पर 40.6 डिग्री सेल्सियस, रिज 41.4 डिग्री सेल्सियस, आयानगर 40.6 डिग्री सेल्सियस, पीतमपुरा 41 डिग्री सेल्सियस, नजफगढ़ 41.7 डिग्री सेल्सियस और मयूर विहार में 37.7 डिग्री दर्ज किया गया.

मौसम विभाग के अधिकारियों का कहना है कि लगातार शुष्क मौसम रहने के कारण उत्तर पश्चिम भारत में भीषण गर्मी पड़ रही है. मौसम विभाग ने 3 से 6 अप्रैल के बीच दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुछ स्थानों पर भीषण लू चलने का अनुमान जताया है.

मार्च में पड़ी गर्मी ने 122 साल का रिकॉर्ड तोड़ा है. भारत में 122 वर्षो में इस बार मार्च के महीने में औसत तापमान सबसे ज्यादा रहा है. आने वाले दिनों में उत्तर और मध्‍य भारत में लोगों को भीषण गर्मी से राहत मिलने की संभावना नहीं है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) में राष्ट्रीय मौसम पूर्वानुमान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक राजेन्द्र कुमार जेनामणि ने आने वाले दिनों में मौसम को लेकर गंभीर बातें बताई हैं.

जेना ने कहा कि भारत में तापमान का रिकार्ड वर्ष 1901 से रखा जाना शुरू हुआ था. साल 2022 के मार्च के तापमान ने वर्ष 2010 के मार्च में दर्ज औसत अधिकतम तापमान के सबसे ज्यादा औसत को पार कर गया. 2010 के मार्च में अधिकतम तापमान का औसत 33.09 डिग्री सेल्सियस रहा था लेकिन मार्च 2022 में औसत तापमान 33.1 डिग्री रहा. उन्होंने कहा कि दुनिया भर में भी पिछले दो दशक में सबसे गर्म साल रहे हैं.

जलवायु परिवर्तन का असर मौसम की तीव्रता पर पड़ा है, भारत में भी यह भीषण बाढ़, चक्रवात या भारी बारिश के रूप में देखने को मिला है. इसमें उत्तर में पश्चिमी विक्षोभ एवं दक्षिण में किसी व्यापक मौसमी तंत्र के नहीं बनने के कारण वर्षा की कमी का प्रभाव भी एक कारण है.पिछले कुछ सालों में ऐसे दिन ज्‍यादा रहे हैं जब बारिश हुई ही नहीं. कुछ मामलों में बहुत ज्‍यादा बारिश हुई और गर्मी भी बढ़ती गई.

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