स्कंद षष्ठी व्रत आज, इस तरह से करेंगे गणपति की पूजा तो मिलेगा आशीर्वाद

Puja vidhi : स्कंद षष्ठी व्रत में पूजा पाठ के नियम क्या हैं यह जानना बहुत जरूरी है, क्योंकि तभी इसका सही ढंग से फल प्राप्त हो पाता है.

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स्कंद षष्ठी का व्रत संतान की सुख समृद्धि के लिए होता है. यह हर माह की पष्ठी तिथि को रखा जाता है.

इस व्रत में भगवान शिव के बड़े बेटे कार्तिकेय की पूजा अर्चना की जाती है. यह व्रत महिलाएं विशेष रूप से रखती हैं. लेकिन क्या आप जानती हैं इस व्रत की सही पूजा विधि (Puja vidhi) क्या है. अगर नहीं तो इस आर्टिकल में आपको पूरी जानकारी दी जा रही है. क्योंकि सही ढंग से व्रत में पूजा ना करने से इसका फल प्राप्त नहीं हो पाता है. स्कंद षष्ठी का व्रत 4 जुलाई को यानी आज रखा जाएगा.

स्कंद षष्ठी पूजा विधि

-स्कंद षष्ठी के दिन भक्त पूरा दिन व्रत रखते हैं.

-आपको बता दें कि इस व्रत में भगवान शिव और मां पार्वती की भी पूजा की जाती है.

-सुबह स्नान के बाद पूजा स्थान को साफ-सुथरा करके भगवान कार्तिकेय की पूजा करते हैं.

-पूजा के समय घी का दीपक जलाया जाता है.

-भगवान को जल, पुष्प आर्पित किया जाता है. कलावा, अक्षत, हल्दी, चंदन पूजन की थाली में रखकर पूजा के समय भगवान को लगाया जाता है.

-फल का प्रसाद चढ़ाया जाता है. शाम के समय फिर से भगवान कार्तिकेय की पूजा-आरती करके भोग लगाया जाता है.

स्कंद षष्ठी पूजा की तिथि और शुभ मुहूर्त 
षष्ठी तिथि की शुरूआत 05 जुलाई मंगलवार को 2 बजकर 57 मिनट पर होगा जो 6 जुलाई को 07 बजकर 19 मिनट पर समाप्त हो जाएगा.

स्कंद षष्ठी का महत्व 
धार्मिक मान्यता के मुताबिक स्कंद षष्ठी भगवान कार्तिकेय को बेहद प्रिय है. पौराणिक कथा के अनुसार, इस दिन उन्होंने दैत्य ताड़कासुर का वध किया था. भगवान स्कंद को चंपा के पुष्प अधिक प्रिय हैं, इसलिए इसे चंपा षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है. कहा जाता है कि अगर कोई भक्त पुत्र प्राप्ति की मनोकामना के साथ स्कंद षष्ठी का व्रत रखता है तो भगवान उनकी मनोकामना पूरी करते हैं.

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