नवरात्रि के दूसरे ब्रह्मचारिणी माता की पूजा आज, जानें पूजा विधि, मंत्र, आरती और भोग

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शारदीय नवरात्र का दूसरा दिन 27 सितंबर को यानी आज है. इस दिन मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप ब्रह्मचारिणी की पूजा (Brahmacharini Puja Vidhi) की जाती है.

धर्म शास्त्रों के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी को ज्ञान, तपस्या और वैराज्ञ्य की देवी माना जाता है. मां दुर्गा के इस स्वरूप में उनके एक हाथ में जप की माता और दूसरे हाथ में कमण्डल है. मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini) स्वरूप की पूजा करने से संयम, तप, त्याग, ज्ञान इत्यादि की वृद्धि होती है. साथ ही मां दुर्गा की कृपा से जीवन की कठिन परिस्थतियां भी आसान हो जाती हैं. आइए जानते हैं इस नवरात्रि दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, मंत्र, आरती और भोग.

मां ब्रह्मचारिणी पूजा विधि
शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी माता की पूजा के दौरान पीले या सफेग रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है. मां दुर्गा को सबसे पहले पंचामृत से स्नान कराएं. इसके बाद अक्षत, रोली, चंदन, लौंग, इलायची, मिश्री इत्यादि अर्पित करें. मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप को कमल और अड़हूल का फूल बेहद प्रिय होता है. ऐसे में अगर संभव हो तो ये फूल माता को जरूर अर्पित करें. इस दिन माता को सफेद रंग की वस्तुएं अर्पित करें. पूजन के दौरान माता के सामने घी का दीया जलाएं. पूजा के अंत में मां ब्रह्मचारिणी की आरती करें.

मां ब्रह्मचारिणी को लगाएं इन चीजों का भोग
मां ब्रह्मचारिणी का पसंदीदा भोग चीनी और मिश्री है, इसलिए मां को भोग में चीनी, मिश्री और पंचामृत का भोग जरूर लगाएं. इसके अलावा मां ब्रह्मचारिणी को दूध और दूध से बने व्‍यंजन अति प्रिय होते हैं. ऐसे में आप उन्‍हें दूध से बने व्‍यंजनों का भोग लगा सकते हैं. मान्यता है इन चीजों का भोग लगाने से मां ब्रह्मचारिणी प्रसन्न होती हैं.

मां ब्रह्मचारिणी के मंत्र
1. या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः

2. दधाना कपाभ्यामक्षमालाकमण्डलू
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा

ब्रह्मचारिणी माता की आरती
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता, जय चतुरानन प्रिय सुख दाता
ब्रह्मा जी के मन भाती हो, ज्ञान सभी को सिखलाती हो
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा, जिसको जपे सकल संसारा
जय गायत्री वेद की माता, जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता
कमी कोई रहने न पाए, कोई भी दुख सहने न पाए
उसकी विरति रहे ठिकाने, जो ​तेरी महिमा को जाने
रुद्राक्ष की माला ले कर, जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर
आलस छोड़ करे गुणगाना, मां तुम उसको सुख पहुंचाना
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम, पूर्ण करो सब मेरे काम
भक्त तेरे चरणों का पुजारी, रखना लाज मेरी महतारी

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