कोरोना के अलग-अलग वैरिएंट और उनके चिकित्सा प्रभावों को लेकर इन्साकॉग की रिपोर्ट सामने आई है, जिसके अनुसार भारतीय मरीजों में वायरस के विभिन्न स्वरूप तेजी से मिश्रित हो रहे हैं।
हाल ही में राज्यों के साथ जीनोम सीक्वेंसिंग की रिपोर्ट साझा करते हुए बताया गया कि बीते तीन माह के दौरान भारतीय मरीजों में कोरोना वायरस के एक से अधिक वैरिएंट का मिश्रण बढ़ा है, जिसका परिणाम है कि सितंबर से नवंबर माह के बीच मिश्रित वैरिएंट और उनसे पैदा हुए उप वैरिएंट 7.5 से बढ़कर 58% तक पहुंच गए हैं।
इतना ही नहीं पिछले साल 2021 में तीसरी लहर के दौरान ओमिक्रॉन के जितने भी स्वरूप मिले थे, वे सभी अब भारतीय मरीजों में दिखाई नहीं दे रहे हैं। 2020 में एल्फा और बीटा, 2021 में डेल्टा, गामा व कप्पा वैरिएंट भी गायब होने लगे थे। हालांकि चिंता की बात यह है कि वायरस के पुराने स्वरूप नदारद हो रहे हैं लेकिन नए मिश्रित स्वरूप यानी डबल या ट्रिपल म्यूटेशन सामने आ रहे हैं जिन्हें जन स्वास्थ्य के लिहाज से काफी चुनौतीपूर्ण माना जा रहा है। इन्साकॉग सदस्य एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने ‘अमर उजाला’ से रिपोर्ट साझा करते हुए कहा, इस साल सितंबर तक ओमिक्रॉन और उससे जुड़े सब लिंगेज बहुत अधिक संख्या में देखने को मिल रहे थे, लेकिन इसके बाद नवंबर और अब दिसंबर माह में जो सैंपल सामने आ रहे हैं उनमें मिश्रित यानी रिकॉम्बिनेंट स्वरूप सबसे अधिक देखने को मिल रहे हैं।
540 बार बदला ओमिक्रॉन, 61 मिश्रित वैरिएंट भी जन्मे
रिपोर्ट बताती है कि कोरोना का वायरस बहुत तेजी से अपना स्वरूप बदलता है। अब तक इसमें 18 हजार से भी अधिक बार परिवर्तन देखने को मिले हैं। बीते एक वर्ष से पूरी दुनिया में कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट से जुड़े उप वैरिएंट ही प्रसारित हो रहे हैं। इसलिए, ओमिक्रॉन की बात करें तो यह 540 बार बदला है और 61 मिश्रित वैरिएंट को इसने जन्म दिया है। वायरस के इन बदलावों को देखते हुए जीनोम सीक्वेंसिंग पर जोर देने के लिए कहा जा रहा है।
इलाज के दौरान गंभीर नहीं मिला बीएफ.7
भारत में बीएफ.7 वैरिएंट के अब तक चार केस मिले हैं। इनमें एक मामला जुलाई में, दो सितंबर और एक नवंबर में मिला था। इलाज के दौरान जब बीएफ.7 संक्रमित रोगियों की निगरानी की गई तो इनमें से किसी में भी यह गंभीर नहीं मिला है। चीन या अन्य देश में इसके गंभीर परिणाम बताए जा रहे हैं, लेकिन भारत में अब तक यह हल्का असर ही दिखाई दिया है। साथ ही, मरीजों की रिकवरी के बाद उन्हें किसी भी तरह की परेशानी नहीं है।
इन्साकॉग का मानना है कि भारत में बीएफ.7 वैरिएंट का हल्का स्वरूप होने का एक कारण बड़ी संख्या में लोगों का टीकाकरण होना भी है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, ओमिक्रॉन के बीए.5 उप वैरिएंट से मिश्रित होने के बाद बीएफ.7 वैरिएंट सामने आया है। वैश्विक स्तर पर अब तक इसे काफी गंभीर, तेजी से प्रसारित होने वाला वैरिएंट बताया जा रहा है जो पूर्व में संक्रमित हुए या फिर टीकाकरण करवाने वालों को भी संक्रमित कर सकता है।
राज्यों में मॉक ड्रिल की तैयारी पूरी, ऑनलाइन देनी होगी जानकारी
नई दिल्ली। कोरोना की आगामी लहर से बचाव के लिए अस्पतालों में मॉक ड्रिल की तैयारियां लगभग पूरी कर ली गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने रविवार को मॉक ड्रिल के लिए राज्यों को एक फॉर्म उपलब्ध कराया है, जिसे कोविन इंडिया पोर्टल से डाउनलोड करने के निर्देश दिए गए हैं। इस फॉर्म को मॉक ड्रिल के साथ ही भरना होगा और उसी समय अपलोड करने के साथ ही दिल्ली में कोरोना वार रूम में जानकारी देनी होगी। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि देश के सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर 27 दिसंबर की सुबह मॉक ड्रिल होने जा रही है। यह पूरी प्रक्रिया संबंधित राज्यों के स्वास्थ्य सचिव व राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के शीर्ष अधिकारियों की निगरानी में की जाएगी। ब्यूरो
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविन इंडिया पोर्टल पर राज्यों को उपलब्ध कराए फॉर्म
मॉक ड्रिल के दौरान अस्पतालों में ऑक्सीजन व दवा भंडार से लेकर वेंटिलेटर और बिस्तरों की पर्याप्त संख्या तक का निरीक्षण किया जाएगा। साथ ही, कोविड फ्लू वार्ड और संदिग्ध रोगियों के वार्ड के साथ-साथ जांच के लिए किट का इंतजाम देखा जाएगा। उन्होंने बताया कि मॉक ड्रिल के लिए देश के प्रत्येक जिले में सर्विलांस अधिकारी को जिम्मेदारी सौंपी है। जिला अस्पताल और अन्य स्वास्थ्य केंद्रों पर इनकी अलग-अलग टीमें पहुंचेंगी।