विक्टोरिया गौरी की मद्रास हाईकोर्ट में जज के तौर पर नियुक्ति के खिलाफ आज सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

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सुप्रीम कोर्ट ने वकील लक्ष्मण चंद्र विक्टोरिया गौरी की मद्रास उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई के अनुरोध को लेकर सोमवार को पुनर्विचार किया और 10 फरवरी के बजाए सात फरवरी को सुनवाई करने का फैसला किया.

सुप्रीम कोर्ट ने वकील लक्ष्मण चंद्र विक्टोरिया गौरी की मद्रास उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई के अनुरोध को लेकर सोमवार को पुनर्विचार किया और 10 फरवरी के बजाए सात फरवरी को सुनवाई करने का फैसला किया.

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामचंद्रन द्वारा मामले का नए सिरे से उल्लेख किए जाने पर गौर किया. अधिवक्ता रामचंद्रन ने गौरी को अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त करने वाली केंद्र की अधिसूचना से अदालत को अवगत कराया.

प्रधान न्यायाधीश की अगुआई वाली पीठ ने कहा, ‘‘चूंकि हमने घटनाक्रम का संज्ञान लिया है, हम इसे कल सुबह सूचीबद्ध कर सकते हैं. हम एक पीठ का गठन कर सकते हैं.”

इससे पहले, शीर्ष अदालत गौरी की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर 10 फरवरी को सुनवाई करने पर सहमत हुई थी. कार्यवाही में पहली बार मामले का उल्लेख किए जाने के बाद इलाहाबाद, कर्नाटक और मद्रास के उच्च न्यायालयों में कुल 11 अधिवक्ताओं और दो न्यायिक अधिकारियों को अतिरिक्त न्यायाधीशों के रूप में नियुक्त करने वाली केंद्र की अधिसूचना सार्वजनिक पटल पर आ गई.

मद्रास उच्च न्यायालय में नियुक्त किए जाने वाले न्यायाधीशों में से एक अधिवक्ता लक्ष्मण चंद्र विक्टोरिया गौरी हैं, जिनकी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से कथित संबद्धता ने विवाद को जन्म दिया था.

मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ के समक्ष केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाली महिला वकील को पदोन्नत करने का प्रस्ताव कथित तौर पर तब विवादास्पद हो गया, जब उनकी भाजपा से कथित संबद्धता के बारे में खबरें सामने आईं. वकील के मुसलमानों और ईसाइयों के खिलाफ कुछ बयान सामने आए हैं.

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