अमेरिका की सुरक्षा के लिए चीन सबसे बड़ा खतरा, खुफिया अधिकारी ने अमेरिकी संसद में दी जानकारी

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अमेरिकी संसद में बुधवार को नेशनल इंटेलीजेंस के डायरेक्टर एवरिल हैन्स ने चीन को लेकर बड़ी बात कह दी।

अमेरिकी सांसदों को संबोधित करते हुए एवरिल हैन्स ने कहा कि मौजूदा समय अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा और नेतृत्व पर सबसे अग्रणी और परिणामी खतरा चीन ही है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) वैश्विक स्तर पर अमेरिका के लिए सबसे बड़ा खतरा बनकर उभर चुका है। हैन्स को अमेरिकी सांसदों ने चीनी चुनौतियों को लेकर चर्चा करने के लिए बुलाया था।

एवरिल हैन्स ने कहा ‘सीसीपी विश्व स्तर पर अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा और नेतृत्व के लिए अग्रणी और सबसे परिणामी खतरे का प्रतिनिधित्व करता है। इसकी खुफिया विशिष्ट महत्वाकांक्षाएं और क्षमताएं हमारे लिए सबसे गंभीर और परिणामी खुफिया प्रतिद्वंद्वी बनाती हैं।’

उन्होंने आगे कहा, ‘पिछले एक साल के दौरान रूस के साथ चीन के गहरे सहयोग से हमारे ऊपर खतरा अतिरिक्त रूप से जटिल हो गया है। जो खुफिया समुदाय के लिए गहन ध्यान देने वाला क्षेत्र भी बना हुआ है। कहने की जरूरत नहीं है कि पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना, जो दुनिया भर में आर्थिक, तकनीकी, राजनीतिक और सैन्य रूप से अमेरिका को तेजी से चुनौती दे रहा है, “हमारी अद्वितीय प्राथमिकता” बनी हुई है।’

हैन्स ने आगे कहा कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नेतृत्व में चीन उनके दृष्टिकोण को प्राप्त करने के प्रयासों को जारी रखेगा। चीन को पूर्वी एशिया में प्रमुख शक्ति और विश्व मंच पर एक प्रमुख शक्ति बनाना है। वह पूरी दुनिया को अपनी मुठ्ठी में करना चाहता है।

पड़ोसियों को अपनी प्राथमिकताओं को स्वीकार करने के लिए मजबूर करेगा
हैन्स ने बताया कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के दृष्टिकोण को पूरा करने के लिए सीसीपी पूरी तरह से आश्वस्त है और इसी दिशा में तेजी से वह काम भी कर रहा है। वह अमेरिकी शक्ति और प्रभाव की कीमत को कम करके अपनी ताकत का प्रदर्शन करना चाहते हैं। उन्होंने आगे कहा, ‘चीन सभी तरह के सरकारी उपकरणों का उपयोग करके अपने पड़ोसियों को अपनी प्राथमिकताओं को स्वीकार करने के लिए मजबूर कर सकता है। वह पड़ोसियों की जमीनों पर कब्जा करेगा। जैसे ताइवान को पूरी तरह से नियंत्रण करने की कोशिश कर रहा है।’

उन्होंने सीनेट समिति के सदस्यों से कहा कि चीन के शीर्ष नेता के रूप में एक दशक से अधिक समय तक सेवा करने के बाद सत्ता पर पूरी तरह से जिनपिंग का नियंत्रण हो चुका है और उन्हें अधिकांश मुद्दों पर महत्वपूर्ण शक्ति और प्रभाव देता है।

हैन्स कहते हैं, ‘जिनपिंग ने खुद को पार्टी की स्थायी समिति, चीन की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था के शीर्ष पर समान विचारधारा वाले वफादारों के साथ घेर लिया है। हम आकलन करते हैं कि शी के तीसरे कार्यकाल के दौरान वे एक साथ ताइवान पर दबाव डालने का प्रयास करेंगे। अमेरिकी प्रभाव को कम करने की कोशिश करेंगे क्योंकि वह जानते हैं कि अमेरिका के रहते वह ताइवान को हासिल नहीं कर सकते हैं। वह अमेरिका को एक खतरे के रूप में देखते हैं और वाशिंगटन और उसके सहयोगियों और साझेदारों के बीच दरार पैदा करते हैं।’

अमेरिका का सबसे करीबी प्रतिद्वंदी बन चुका है चीन
इंटेलिजेंस पर सीनेट की चयन समिति के अध्यक्ष सीनेटर मार्क वार्नर ने कहा कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के तहत पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना अब दुर्भाग्य से हमारे देश के साथ-साथ अर्थव्यवस्था, प्रौद्योगिकी और सैन्य क्षमताओं में निकट प्रतिद्वंद्वी है।

अमेरिका दो दशकों से आतंकवाद का मुकाबला करने पर केंद्रित था। इस दौरान चीन ने उन्नत वायरलेस संचार, अर्धचालक क्वांटम सिंथेटिक जीव विज्ञान और अगली पीढ़ी की ऊर्जा जैसी उभरती और मूलभूत तकनीकों पर काम किया। वह इन मामलों में अमेरिका से भी आगे निकलने के लिए दौड़ लगा रहा है।

समिति के रैंकिंग सदस्य सीनेटर मार्को रूबियो ने कहा, यह स्पष्ट है कि वैश्वीकरण ने चीन के उदय का नेतृत्व किया, लेकिन इसने अमेरिका का औद्योगीकरण भी किया, लंबी और कमजोर आपूर्ति श्रृंखलाएं बनाईं। इसने हमारे मध्यम वर्ग को मिटा दिया। हमारे समाज को सामाजिक आर्थिक रेखाओं के साथ गहराई से विभाजित कर दिया।

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