हिंदू पंचांग के अनुसार खरमास को अतिमहत्वपूर्ण माना जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि खरमास लगने पर सभी तरह के मांगलिक कार्यों को करने की मनाही होती है, जैसे, शादी-ब्याह, मुंडन, तिलक, सगाई इत्यादि.
ऐसे में खरमास (Kharmas) लगने पर कुछ विशेष बातों का ख्याल रखना बेहद जरूरी होता है. मान्यतानुसार जब सूर्य देव बृहस्पति देव की राशि धनु और मीन में प्रवेश करते हैं तो इस राशि परिवर्तन (Rashi Parivartan) के कारण ही खरमास लग जाते हैं. जानिए विशेषतौर पर खरमास के दौरान किन कार्यों को करने की मनाही होती है और किन उपायों को इस समय में अपनाया जा सकता है.
खरमास की तिथि और उपाय
हिंदू पंचांग के मुताबिक मार्च में 15 तारीख से खरमास लगेंगे. इस दिन सुबह 5 बजकर 17 मिनट से ही खरमास की शुरूआत हो जाएगी क्योंकि सूर्य मीन राशि में गोचर कर जाएंगे और आने वाली 14 अप्रैल तक इस राशि में ही रहेंगे. इस पूरे उपक्रम को मीन संक्रांति भी कहा जाता है और यह पूरी अवधि खरमास होगी. खरमास में खासतौर से सभी राशियों के जातकों को सावधानी बरतने की आवश्यक्ता होती है. ऐसे में कुछ कामों को करने से परहेज करने और कुछ जरूरी बातों का ख्याल रखने के लिए कहा जाता है.
खरमास में ना करने वाले काम
माना जाता है कि खरमास लगने के बाद खरमास खत्म होने तक बहुत से काम हैं जिन्हें करने से बचना चाहिए. इस चलते खरमास की अवधि में नया मकान, गाड़ी, गहने और किसी भी तरह की संपत्ति, चाहे वो चल हो या अचल, नहीं खरीदनी चाहिए. इसके साथ ही, नये व्यापार की शुरूआत के लिए यह समय उपयुक्त नहीं माना जाता. विशेषकर शादी (Marriage), मुंडन, गृह प्रवेश और लगन-सगाई खरमास के दौरान नहीं किए जाते हैं.
ये उपाय आएंगे काम
खरमास के दौरान कुछ उपाय किए जा सकते हैं. राशियों के जातक इस दौरान तुलसी पूजा कर सकते हैं. खरमास में तुलसी पूजा करने पर घर में सुख-शांति बनी रहती है. इसके साथ ही, सूर्य देव (Surya Dev) की उपासना कर सकते हैं. मान्यतानुसार सूर्य देव की खरमास के दौरान उपासना करना और उन्हें अर्घ्य देना बेहद शुभ होता है. सूर्य देव को अर्घ्य देने वाले पानी में कुमकुम, अक्षत और पीले पुष्प डाले जा सकते हैं. खरमास के दौरान भगवान विष्णु और सूर्यदेव की पूजा करना भी फलदायी हो सकता है.