युवाओं के दिमाग में जहर भर रहा था अमृतपाल; दो बार मीटिंग, फाइनल बातचीत से पहले बिगड़ गया खेल

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वारिस पंजाब दे के प्रमुख अमृतपाल सिंह की फरारी के चार दिन बाद भी गांव जल्लूपुर में हालात तनावपूर्ण हैं।

गांव में पुलिसकर्मियों की संख्या थोड़ी कम कर दी गई है, लेकिन लोगों के अंदर अब भी दहशत है। जल्लूपुर गांव के गुरुद्वारे में जो नशा छुड़ाओ केंद्र चल रहा था, उसे बंद कर दिया गया है।

यहीं पर अमृतपाल युवाओं के दिमाग में जहर भर रहा था। अमृतपाल सिंह के साथियों की पुलिस अभी भी तलाश कर रही है। इसी कड़ी में मंगलवार को भी छापामारी अभियान जारी रहा। पुलिस उन 11 युवाओं की भी तलाश कर रही है, जो अमृतपाल की ओर से गठित हथियारबंद विंग आनंदपुर खालसा फोर्स (एकेएफ) में भर्ती होना चाहते थे।

इनकी आयु 30 वर्ष से कम है और इनके साथ अपने लाइसेंसी हथियार भी हैं। ये युवा अमृतसर जिले के अलग-अलग कस्बों के रहने वाले हैं। इनकी दो बार अमृतपाल सिंह के साथ बैठकें भी हो चुकी हैं। बताया जाता है कि ये युवा अजनाला थाना के घेराव के दौरान भी अमृतपाल के समर्थकों की भीड़ में शामिल थे।

इन युवाओं ने अमृतपाल के साथ उनकी फोर्स में शामिल होने की सहमति भी प्रकट कर दी थी। अमृतसर के रहने वाले दो लोगों ने ही अमृतपाल के साथ इन युवाओं का संपर्क करवाया था। यह दोनों भी पुलिस की हिरासत में हैं। पूछताछ के दौरान ही यह खुलासा हुआ है कि अमृतपाल सिंह एकेएफ को शक्तिशाली बनाने के लिए युवाओं की संख्या बढ़ा रहा था।

अमृतपाल की फोर्स में भर्ती होने के लिए तैयार थे कई युवा
युवाओं को हथियार रखने के लिए प्रेरित कर रहा था। अमृतपाल की फोर्स में भर्ती होने के लिए कई युवा तैयार थे, लेकिन अमृतपाल चाहता था कि उसके साथ समर्पित व वफादार युवा ही जुड़ें, क्योंकि पहले कुछ युवा अमृतपाल को धोखा भी दे चुके थे। इनमें से वरिंदर सिंह भी एक था, जिसने अमृतपाल और उसके साथियों के खिलाफ पहला मामला दर्ज करवाया था।

एक-एक युवक को अलग ले जाकर बात करता था अमृतपाल
अमृतपाल अपने साथ पक्के तौर पर जुड़ने वाले युवाओं के साथ खुद अकेले में बातचीत करता था। करीब 20 युवाओं के साथ अमृतपाल दो बार मीटिंग कर चुका था। अभी उनके साथ एक फाइनल बातचीत होनी बाकी थी।

अमृतपाल सिंह को बचाने में जुटी खुफिया एजेंसी आईएसआई
उधर, अमृतपाल सिंह की तलाश में पंजाब पुलिस की टीमें पीछा कर रही हैं, लेकिन उसे बचाने के लिए पाक की खुफिया एजेंसी आईएसआई भी मदद में जुटी हुई। पुलिस को अंदेशा है कि अमृतपाल को आतंकी हरविंदर सिंह रिंदा के जानकारों के यहां पाक की खुफिया एजेंसी उसे ठहराने का इंतजाम कर सकती है।

ऐसे में रिंदा और अन्य गैंगस्टरों से जुड़े लोगों के ठिकानों पर भी पुलिस नजर रख रही है। इसके अलावा सीमावर्ती जिलों में ग्रामीण चौकस कमेटियों को भी अलर्ट रहने की हिदायत दी है।

पांच दिन में बने 2559 ट्विटर हैंडल
खालिस्तान की मांग करने वाले अमृतपाल पर जैसे ही कानूनी शिकंजा कसना शुरू हुआ ठीक उसी दरम्यान अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और दुबई से अपने देश में माहौल को बिगाड़ने के लिए ट्विटर अकाउंट बनाए जाने लगे। खुफिया एजेंसियों के इनपुट से मिली जानकारी के मुताबिक, 15 मार्च से लेकर 19 मार्च तक 2559 नए टि्वटर अकाउंट बनाए गए। जो न सिर्फ अमृतपाल मामले में हैशटैग का अभियान चला रहे थे, बल्कि माहौल को बिगाड़ने के लिए कई नफरती ट्वीट्स को रिट्वीट कर रहे थे। इसके अलावा कई ट्विटर अकाउंट ऐसे भी पाए गए हैं जो 2020 के किसान आंदोलन के दौरान भी माहौल खराब कर रहे थे और अब भी वही अकाउंट माहौल खराब करने में लगे हैं।

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