उत्तराखंड के उत्तरकाशी में टनल धंसने (Uttarakhand Tunnel Accident) के बाद 41 मजदूर पिछले 9 दिन से फंसे हुए हैं. रेस्क्यू टीम (Rescue Operation) अभी तक उन्हें निकाल नहीं पाई है.
मलबा ज्यादा होने और ऊपर से मिट्टी धंसने के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन में दिक्कत आ रही है. इस बीच सोमवार (20 नवंबर) को 6 इंच की नई पाइपलाइन से पहली बार इन मजदूरों तक सॉलिड फूड पहुंचाने में कामयाबी मिली. रेस्क्यू टीम ने इसी पाइप से इन मजदूरों को बोतल में गर्म खिचड़ी भेजी. इतने दिनों से सही अच्छे से खाना नहीं मिल पाने से वे कमजोर हो चुके हैं.
समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक, टनल में फंसे हुए 41 मजदूरों के लिए हेमंत नाम के रसोइये ने खिचड़ी बनाई. उन्होंने बताया कि यह पहली बार है कि मजदूरों के लिए गर्म खाना भेजा जा रहा है. हेमंत ने ANI को बताया, “हम सिर्फ खिचड़ी ही भेज रहे हैं. हमें केवल वही खाना बनाना है, जिसकी हमें सिफारिश की गई है.”
12 नवंबर को हुआ था हादसा
ब्रह्मखाल-यमुनोत्री हाईवे पर निर्माणाधीन 4.5 किलोमीटर लंबी सिलक्यारा टनल का एक हिस्सा 12 नवंबर को धंस गया था. चारधाम प्रोजेक्ट के तहत यह टनल ब्रह्मखाल और यमुनोत्री नेशनल हाईवे पर सिल्क्यारा और डंडलगांव के बीच बनाई जा रही है. हादसा 12 नवंबर की सुबह 4 बजे हुआ था. टनल के एंट्री पॉइंट से 200 मीटर अंदर 60 मीटर तक मिट्टी धंसी. इसमें 41 मजदूर अंदर फंस गए.
रेस्क्यू के दौरान 16 नवंबर को टनल से और पत्थर गिरे जिसकी वजह से मलबा कुल 70 मीटर तक फैला गया. टनल के अंदर फंसे मजदूर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के हैं.
क्या कहते हैं रेस्क्यू ऑपरेशन के इंचार्ज
रेस्क्यू ऑपरेशन के इंचार्ज कर्नल दीपक पाटिल ने कहा कि इस वैकल्पिक लाइफ लाइन के जरिए हम टनल के अंदर खाना, मोबाइल और चार्जर भेज सकते हैं.
खाने में भेज रहे खिचड़ी, केला और सेब
टनल के अंदर फंसे हुए मजदूरों को खाने में क्या-क्या भेजा जा रहा है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि मजदूरों की स्थिति को ध्यान में रखते हुए डॉक्टरों की मदद से एक चार्ट तैयार किया गया है. हम चौड़े मुंह वाली प्लास्टिक की सिलेंड्रिकल बोतलों में केले, सेब, खिचड़ी और दलिया भेज रहे हैं.
इससे पहले दिन में नेशनल हाईवे व इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोर्शन लिमिटेड के डायरेक्टर अंशू मनीष खलको ने कहा कि 6 इंच के पाइप को सफलतापूर्वक अंदर पहुंचाने के बारे में पता चलने के बाद फंसे हुए मजदूरों में खुशी का माहौल था. उनके खाने-पीने की दिक्कत खत्म हो गई. अब रेस्क्यू टीम मजदूरों को निकालने के लिए पूरी ताकत से जाएंगे.
टनल के अंदर एक मजदूर को अस्थमा दूसरे को शुगर
टनल के अंदर फंसे मजदूर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के हैं. इनमें से एक मजदूर को अस्थमा और दूसरे मजदूर को शुगर की बीमारी भी है. उन्हें पाइप के जरिए रोजाना दवाई भी भेजी जा रही है.
रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए बनाई गई नई रणनीति
रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए टीम ने नई रणनीति बनाई है. इसके तहत आठ एजेंसियां- NHIDCL, ONGC, THDCIL, RVNL, BRO, NDRF, SDRF, PWD और ITBP एक साथ 5 तरफ से टनल में ड्रिलिंग करेंगी.