राष्ट्रीय राजधानी में शनिवार को वायु गुणवत्ता आंशिक रूप से सुधरी लेकिन अब भी वह ‘‘बहुत खराब” की श्रेणी में है.
वायु गुणवत्ता पर नजर रखने वाली एजेंसियों को उम्मीद है कि पश्चिमी विक्षोभ के कारण मौसम संबंधी परिस्थितियों में रविवार से सुधार हो सकता है.
दिल्ली में नवंबर में 10 दिन वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ रही है. पिछले साल नवंबर में दिल्ली में वायु गुणवत्ता तीन दिन गंभीर श्रेणी में रही थी, जबकि नवंबर 2021 में यह स्थिति 12 दिन रही थी. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने जब से वायु गुणवत्ता सूचकांक पर नजर रखनी शुरू की है, तब से नवंबर में 2021 में सबसे अधिक दिन वायु गुणवत्ता ‘‘गंभीर” श्रेणी में रही थी.
सीपीसीबी के आंकड़ों के अनुसार, नवंबर 2020 में वायु गुणवत्ता नौ दिन, 2019 में सात दिन, 2018 में पांच दिन, 2017 में सात दिन, 2016 में 10 दिन और 2015 में छह दिन ‘‘गंभीर” श्रेणी में रही थी. न्यूनतम तापमान में गिरावट और रात में हवा की धीमी गति के कारण प्रदूषकों के एकत्र होने से दिल्ली में वायु गुणवत्ता शुक्रवार को फिर से ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज की गयी थी.
शहर में अपराह्न चार बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक 389 था जबकि सुबह आठ बजे यह 421 दर्ज किया गया था. भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के एक वैज्ञानिक ने रविवार से पश्चिमोत्तर भारत को प्रभावित कर सकने वाले एक पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव के कारण मौसम संबंधी स्थितियों में संभावित सुधार के परिणामस्वरूप प्रदूषण से थोड़ी राहत मिलने का अनुमान जताया है.
दिल्ली के एक्यूआई में गत रविवार को मामूली सुधार के बाद से लगातार वृद्धि हो रही है. दिल्ली में 24 घंटे का औसत एक्यूआई प्रतिदिन शाम चार बजे दर्ज किया जाता है, जो शुक्रवार को 415, बृहस्पतिवार को 390, बुधवार को 394, मंगलवार को 365, सोमवार को 348 और रविवार (19 नवंबर) को 301 रहा था.
केंद्र ने हवा की अनुकूल गति और दिशा के कारण प्रदूषण के स्तर में गिरावट के बाद पिछले शनिवार को दिल्ली में कुछ परियोजनाओं से संबंधित निर्माण कार्य और प्रदूषण फैलाने वाले ट्रकों के प्रवेश पर लगे प्रतिबंध सहित कड़े प्रतिबंध हटा दिए थे, जिसके बाद एक्यूआई के स्तर में वृद्धि हुई है.
शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51 और 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 और 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 और 300 के बीच ‘खराब’, 301 और 400 के बीच ‘बेहद खराब’, 401 और 450 के बीच ‘गंभीर’ एवं 450 के ऊपर ‘अत्यंत गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है.
दिल्ली सरकार और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), कानपुर की एक संयुक्त परियोजना के आंकड़ों के मुताबिक शुक्रवार को राजधानी के वायु प्रदूषण में जैवईंधन जलाने का योगदान 51 प्रतिशत रहा. आंकड़ों के अनुसार, राजधानी के वायु प्रदूषण में वाहनों से होने वाले उत्सर्जन का योगदान 31 प्रतिशत रहा. दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने संबंधित एजेंसियों और विभागों को प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर सख्ती से अंकुश लगाने और जैवईंधन जलाने की बढ़ती घटनाओं को रोकने का निर्देश दिया है.