भारत ने संयुक्त अरब अमीरात, यूएई (UAE) से खरीदे गए कच्चे तेल (Crude Oil) के लिए रुपये (Indian Rupees) में पहला भुगतान किया है.
इसके साथ ही भारत ने अपनी करेंसी रुपया को वैश्विक स्तर पर ले जाने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है.अधिकारियों ने कहा है कि भारत अन्य तेल आपूर्तिकर्ता देशों के साथ भी इसी तरह के रुपया भुगतान सौदों (Trade In rupee) की कोशिश में लगा हुआ है. लेकिन इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लागू करना एक प्रक्रिया है और इसके लिए कोई लक्ष्य नहीं रखा गया है.
सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) ने अबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी (एडीएनओसी) से 10 लाख बैरल कच्चे तेल की खरीद का भुगतान भारतीय रुपये में किया है. इसके अलावा रूस से आयात किए गए कच्चे तेल के कुछ हिस्से का भी भुगतान रुपये में किया गया है.
रुपये के अंतरराष्ट्रीयकरण से डॉलर की मांग कम करने में मिलेगी मदद
एक अधिकारी ने कहा, ‘हमें इस बात का ध्यान रखना होगा कि तेल खरीद का भुगतान रुपये में करने से लागत न बढ़े और इसका व्यापार पर किसी भी तरह से नुकसान न पड़े.’ उन्होंने कहा, ‘जहां रकम अधिक नहीं है वहां रुपये में सौदा निपटान में ज्यादा समस्या नहीं होती है. लेकिन जब कच्चे तेल का हरेक जहाज लाखों डॉलर की कीमत का हो तो समस्याएं होती हैं. भारत व्यापक राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखते हुए स्थिति से निपट रहा है.’
इसके आगे अधिकारी ने कहा कि रुपये के अंतरराष्ट्रीयकरण से डॉलर की मांग कम करने में मदद मिलेगी और भारतीय अर्थव्यवस्था पर वैश्विक मौद्रिक झटकों का कम असर होगा.
भारत 85% से अधिक तेल जरूरतों के लिए आयात पर निर्भर
आपको बता दें कि भारत अपनी 85 प्रतिशत से अधिक तेल जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर है. इसके लिए उसे बड़े पैमाने पर डॉलर में भुगतान करना होता है.
पिछले साल से भारत ने तेल की खरीद का भुगतान डॉलर के बजाय रुपये में करने की व्यवस्था शुरू की है. इस दिशा में रिजर्व बैंक ने भी जरूरी कदम उठाए हैं. भारत ने जुलाई में यूएई के साथ रुपये में भुगतान के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.
पिछले सप्ताह संसद में पेश संसदीय समिति की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय रुपये में कच्चे तेल का भुगतान लेने की दिशा में प्रगति अच्छी नहीं है. इस पर अधिकारियों ने यह माना कि वित्त वर्ष 2022-23 में हालात ऐसे ही रहे हैं लेकिन इस साल तेल का कुछ कारोबार रुपये में हुआ है.