शंभू बार्डर पर संघर्ष की अगुआई कर रहे नेताओं पर उठे सवाल, बैठक में CM मान को शामिल करना ठहराया गलत

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किसानों की मांगों को लेकर पंजाब के खनौरी और शंभू बॉर्डर पर किए जा रहे प्रदर्शन की अगुआई कर रहे किसान नेताओं पर सवाल उठने लगे हैं।

किसान नेताओं द्वारा केंद्र सरकार के साथ तीन बार हुई बैठक में कोई परिणाम नहीं निकलने और इनमें पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को शामिल करने को गलत ठहराया जा रहा है।

इंटरनेट मीडिया पर शेयर की जा रही पोस्ट
यही नहीं अगुआई कर रहे नेताओं के प्रबंधन और वहां मौजूद प्रदर्शनकारियों पर नियंत्रण नहीं रख पाने का फायदा हुल्लड़बाजों द्वारा उठाने की आशंका भी जताई जा रही है। इस संबंधी एक पोस्ट इंटरनेट मीडिया के अलग-अलग प्लेटफार्म पर शेयर की जा रही है। ये पोस्ट संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के नेता अपलोड कर रहे हैं।

इससे किसान यूनियनों में पड़ी हुई फूट सबके सामने भी आ रही है। ज्ञात हो, दिल्ली की सीमा पर दो वर्ष पहले हुए किसानों के प्रदर्शन के दौरान संयुक्त किसान मोर्चा बना था, जिसमें पंजाब के करीब 35 समेत पूरे देश से 500 संगठन जुड़े थे। इनसे अलग हुए संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) की तरफ से दिल्ली कूच का एलान किया गया है।

किसान मोर्चा के मीडिया सेल ने की अपलोड
इसकी अगुआई भारतीय किसान यूनियन सिद्धुपूर के जगजीत सिंह डल्लेवाल और मजदूर किसान संघर्ष समिति के सरवन सिंह पंधेर समेत अन्य नेता कर रहे हैं। प्रदर्शन करने वालों को शंभू बॉर्डर पर ही रोका गया है। इसके बीच संयुक्त किसान मोर्चा की लुधियाना में एक बैठक हुई।

इसमें भी शंभू बॉर्डर पर हो रहे संघर्ष पर खुलकर विचार-विमर्श हुआ है। बैठक के कुछ समय बाद ही संयुक्त किसान मोर्चा की मीडिया सेल देख रहे गुरमीत सिंह महिमा की तरफ से यह पोस्ट मीडिया ग्रुपों में अपलोड की गई है।

पोस्ट ये कहा गया
पोस्ट के नीचे एसएस आजाद का नाम लिखा गया है। पोस्ट में जगजीत सिंह डल्लेवाल, सरवन सिंह पंधेर और सुरजीत सिंह फूल के नेतृत्व पर सवाल उठाए जा रहे हैं। पोस्ट में कहा जा रहा है कि वह संगठन कैसे गैर राजनीतिक हो सकता है, जो एक प्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ केंद्रीय मंत्रियों से बैठकें करता है।

किसान नेताओं की तरफ से संघर्ष को राष्ट्रीय स्तर का होने का दावा करने पर सवाल पूछा गया है कि अगर यह संघर्ष भारत के संगठनों का है तो दूसरे संगठन क्यों साथ नहीं हैं।

दिल्ली जानें की जिद पर उठाए जा रहे सवाल
इसके अलावा दिल्ली जाने के लिए की जा रही जिद पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं कि अगर केंद्र सरकार से बात टूटती है और दिल्ली जाना भी पड़ा तो कैसे 70 हजार अर्द्धसैनिक बलों और हरियाणा पुलिस का सामना कर दिल्ली पहुंचा जाएगा।

वह भी तब, जब आने वाले कुछ ही दिनों में लोकसभा चुनाव को लेकर अचार संहिता भी लग जाएगी। यह पोस्ट तब अपलोड की गई, जब एसकेएम की बैठक हुई। मीडिया सेल देख रहे गुरप्रीत सिंह का कहना है कि यह पोस्ट उन्हें भी कहीं से प्राप्त हुई थी। बातें अच्छी लगीं तो आगे शेयर कर दिया।

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