केंद्र सरकार के साथ एमएसपी या न्यूनतम समर्थन मूल्य पर असहमति बनने के बाद किसान आज फिर से दिल्ली कूच (Farmer’s Delhi March) के लिए तैयार हैं.
सरकार ने कपास, मक्का, मसूर, अरहर और उड़द यानी 5 फसलों पर MSP देने का प्रस्ताव दिया था, जिसे किसानों ने खारिज कर दिया. किसान सभी फसलों पर MSP गारंटी देने की मांग कर रहे हैं.
शंभू बॉर्डर पर डंटे आंदोलनकारी किसान (Shambhu Border Farmer’s Protest) प्रशासन द्वारा बनाई गई सीमेंट की दीवारें तोड़ने की कोशिश के लिए पोकलेन मशीनें लेकर पहुंच गए हैं. हालांकि हरियाणा पुलिस ने पंजाब पुलिस को पत्र लिखकर इन मशीनों को जब्त करने की बात कही है.
किसानों के विरोध मार्च को देखते हुए कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने एक बार फिर किसानों से शांतिपूर्ण तरीके से बातचीत आगे बढ़ाने की अपील की है. उन्होंने कहा कि सभी लोग समाधान ही चाहते हैं, इसीलिए सरकार ने बातचीत जारी रखने की कोशिश की है.
किसान नेताओं ने सोमवार शाम को मक्का, कपास और तीन तरह की दालों – अरहर, उड़द और मसूर, को पुराने एमएसपी पर खरीदने के सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया. किसानों ने कहा कि इसका कोई मतलब नहीं है, क्योंकि यह सिर्फ कुछ ही फसलों पर लागू होता है और अन्य 18 फसलों को उगाने वालों पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है.
किसानों ने कहा कि कीमत – A2+FL+50 प्रतिशत फॉर्मूला (बीज और उर्वरक और अवैतनिक पारिवारिक श्रम जैसे प्रत्यक्ष लागत का 1.5 गुना एमएसपी) पर आधारित है, न कि स्वामीनाथन आयोग के C2+50 प्रतिशत फॉर्मूला (जो इसमें कृषि भूमि का किराया, या स्वामित्व वाली भूमि का किराया मूल्य शामिल है) – यह “निर्वाह” भुगतान होगा न कि “इनकम”
किसान उस क्लॉज से भी नाखुश थे, जिसमें कहा गया था कि एमएसपी सिर्फ फसल परिवर्तन का विकल्प चुनने वालों के लिए होगा, जिसका मतलब है कि उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य का फायदा लेने के लिए सरकार की तरफ से स्वीकृत फसलें उगानी होंगी. किसानों ने कहा कि “इस तरह, हमने प्रस्ताव को अस्वीकार करने का फैसला लिया है.”
केंद्र सरकार और किसानों के बीच चंडीगढ़ में चौथे दौर की वार्ता के बाद हुई, जिसमें कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा समेत तीन केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे, जिन्होंने कहा कि “उपद्रवी तत्व वार्ता को हाईजैक करने की कोशिश कर रहे हैं”.
करीब 1 लाख किसान, पंजाब-हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर डंटे हुए हैं. वह पिछले एक हफ्ते से वहां जमे हुए हैं, जबकि सभी पक्ष एक समझौते पर बातचीत करने और पिछले साल जैसे हिंसक विरोध प्रदर्शन को फिर से दोहराने से बचने की कोशिश कर रहे हैं.
किसानों को दिल्ली कूच से रोकने के लिए करीब 200 किमी लंबे वाले हाईवे के रास्तों में कंक्रीट के बैरिकेडिंग, कंटीले तारों का घेरा और यहां तक कि ट्रैक्टरों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए कील की पट्टियां लगाई गई हैं. ड्रोन फुटेज से इस तरह की तैयारियां सामने आई हैं.
दिल्ली के चारों तरफ सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है. ग़ाज़ीपुर, टिकरी, नोएडा और सिंघू समेत प्रमुख बॉर्डर क्रॉसिंग को लोह और सीमेंट के बैरिकेड्स से बाधित कर दिया गया है. दिल्ली पुलिस ने धारा 144 के तहत सार्वजनिक समारोहों पर एक महीने का प्रतिबंध भी लगाया है.
किसानों का कहना है कि उनका दिल्ली मार्च शांतिपूर्ण होगा. एक किसान ने एनडीटीवी से कहा, ”हम सरकार से अपील करना चाहते हैं कि वह हमारे खिलाफ बल प्रयोग न करे.” हालांकि, किसानों का कहना है कि वह लंबी तैयारी के साथ आए हैं, उनके पास छह महीने के खाने की व्यवस्था है.