प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शनिवार को कहा कि इसने कथित तौर पर भूमि कब्जा करने से जुड़े धन शोधन मामले के सिलसिले में तीन और गिरफ्तारियां की हैं.
मामले में ईडी ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और कुछ अन्य को गिरफ्तार किया था. ईडी के अनुसार, धन शोधन (निवारण) अधिनियम के प्रावधानों के तहत नौ मई को संजीत कुमार, मोहम्मद इरशाद और तापस घोष को हिरासत में लिया गया था.
संघीय एजेंसी ने एक बयान में कहा, ‘‘इन व्यक्तियों को छोटा नागपुर काश्तकारी अधिनियम के तहत निर्धारित गैर-बिक्री योग्य भूमि के उपयोग की प्रकृति में बदलाव के लिए भू अभिलेखों की जालसाजी, उनमें छेड़छाड़ करने और फर्जी दस्तावेज तैयार करने में उनकी भूमिका के लिए गिरफ्तार किया गया है.”
बयान में कहा गया है कि इस अधिनियम का उद्देश्य आदिवासी और हाशिये पर मौजूद समुदायों के भू अधिकारों की रक्षा करना है. बयान के अनुसार, कुमार और घोष कोलकाता के ‘रजिस्ट्रार ऑफ एश्योरेंस’ में संविदा कर्मचारी के रूप में काम करते हैं.
सोरेन सहित, भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी छवि रंजन, राजस्व विभाग के पूर्व उपनिरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद और अन्य को ईडी ने अपनी जांच के तहत गिरफ्तार किया है.
ईडी ने आरोप लगाया कि जांच में पाया गया कि उपरोक्त आरोपी व्यक्तियों द्वारा फर्जीवाड़ा और जालसाजी के जरिये हासिल की गई भूमि हेमंत सोरेन के अवैध कब्जे में है.
रांची में सोरेन द्वारा अवैध रूप से हासिल कुछ भूखंडों सहित 266 करोड़ रुपये मूल्य की जमीन एजेंसी ने अब तक कुर्क की है, जबकि उसके द्वारा 64 तलाशी और सर्वेक्षण किये जाने के बाद आरोपपत्र दाखिल किया गया.
ईडी ने दावा किया, ‘‘एक भूमि माफिया गिरोह झारखंड में सक्रिय है जो रांची और कोलकाता में भू अभिलेखों में छेड़छाड़ करने में संलिप्त है.” इसने कहा कि फर्जी भू अभिलेख के आधार पर इस तरह के भूखंड अन्य लोगों को बेच दिये गए.
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के वरिष्ठ नेता सोरेन (48) ने यह कहते हुए भूमि कब्जा करने के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है कि उनके खिलाफ धन शोधन मामला राजनीतिक प्रतिशोध के तहत भाजपा नीत केंद्र सरकार की साजिश है.
झारखंड के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद उन्हें 31 जनवरी को रांची स्थित राजभवन से ईडी ने गिरफ्तार किया था.