अर्जेंटीना से जर्मनी जा रही लुफ्थांसा की फ्लाइंट टर्बुलेंस में फंसी, 11 लोग घायल; इनमें छह चालक दल के सदस्य

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अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स से जर्मनी के फ्रैंकफर्ट जा रही लुफ्थांसा की उड़ान को अटलांटिक के ऊपर अचानक वायुमंडलीय विक्षोभ (टर्बुलेंस) का सामना करना पड़ा, जिससे विमान में सवार 11 लोग घायल हो गए।

लुफ्थांसा के प्रवक्ता ने डीपीए समाचार एजेंसी की एक रिपोर्ट की पुष्टि करते हुए बताया कि दुर्भाग्य से पांच यात्रियों और चालक दल के छह सदस्यों को मामूली चोटें आईं है।

329 यात्री से सवार
प्रवक्ता ने कहा कि उड़ान की सुरक्षा किसी भी समय खतरे में नहीं थी। एयरलाइन के अनुसार, मंगलवार को विमान के अपने गंतव्य पर सुरक्षित रूप से उतरने के तुरंत बाद घायलों का इलाज कराया गया। बोइंग 747-8 में 329 यात्री और 19 चालक दल के सदस्य सवार थे। कंपनी ने कहा कि टर्बुलेंस हल्की थी। गौरतलब है कि मई में सिंगापुर एयरलाइंस के एक यात्री विमान को म्यांमार में इरावडी बसिन के ऊपर टर्बुलेंस का सामना करना पड़ा था, जिसमें एक यात्री की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी।

क्या होता है टर्बुलेंस?

टर्बुलेंस में विमान को हवा में या उड़ान के दौरान झटके लगते हैं। हवा के प्रवाह में दबाव और गति में अचानक बदलाव से यह स्थित उत्पन्न होती है। विमान अचानक तेजी से हिलने-डुलने लगता है। टर्बुलेंस में कभी हल्के तो कभी बहुत तेज झटके लग सकते हैं। टर्बुलेंस की सबसे प्रमुख वजह खराब मौसम को माना जाता है।

पहले भी टर्बुलेंस से जूझ चुकी लुफ्थांसा की फ्लाइट

पिछले साल भी अमेरिका के टेक्सास से जर्मनी के फ्रैंकफर्ट जा रही लुफ्थांसा की फ्लाइट ( संख्या- 469) को टर्बुलेंस का सामना करना पड़ा था। इसके बाद विमान को वर्जीनिया के एयरपोर्ट पर सुरक्षित उतारा गया था। विमान में सवार सात लोगों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन के मुताबिक एयरबस A330 ने टेनेसी के ऊपर उड़ान भरते समय 37,000 फुट की ऊंचाई पर भयानक टर्बुलेंस की सूचना मिली थी।
कितना खतरनाक होता है टर्बुलेंस

विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन का असर भी पड़ रहा है। मौसम में अचानक बदलाव की वजह से पायलट को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। टर्बुलेंस की वजह से यात्रियों को चोट आ सकती है। अधिकांश मामलों में यह इतना खतरनाक नहीं होता है। वर्तमान विमान टर्बुलेंस को झेलने में काफी हद तक सक्षम है। आधुनिक सेंसर की वजह से इसकी पहचान भी पहले की जा सकती है। अगर समय है तो पायलट उड़ान का रास्ता भी बदल सकता है। यात्रियों को अलर्ट करने से टर्बुलेंस से होने वाली क्षति को कम किया जा सकता है।

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