Ukraine ने एक बार फिर से रूस के कुर्स्क इलाके में अमेरिकी मिसाइल ATACMS दागी है. इसमें नाटो का सपोर्ट है.
अब ऐसी आशंका जताई जा रही है कि अगले 24 घंटे में रूस अपनी नई हाइपरसोनिक ओरेश्निक मिसाइल से वापस हमला कर सकता है. इस बार हमला नाटो के बेस भी हो सकते हैं. रूसी सेना ने मिसाइल को अटैक के लिए तैयार कर दिया है. बस राष्ट्रपति पुतिन के ग्रीन सिग्नल का इंतजार है. पुतिन पहले ही यह चेतावनी दे चुके हैं कि अगर उनकी धरती के खिलाफ कोई भी देश लंबी दूरी के हथियारों का इस्तेमाल करेगा तो हम उसकी मिलिट्री फैसिलिटी को उड़ाने में जरा सी भी देर नहीं करेंगे.
पहले जानते हैं कि इस मिसाइल की रेंज में कौन-कौन से नाटो बेस हैं…
पोलैंड … यहां के लास्क एयर बेस पर यह मिसाइल हमला कर सकती है. इस जगह पर अमेरिकी एयरफोर्स मौजूद है. फॉरवर्ड ऑपरेटिंग साइट्स पोविज, जगन और पोजनान. यहां पर अमेरिकी हथियार और यंत्रों का स्टोरेज है. अमेरिकी वी कॉर्प्स का फॉरवर्ड मुख्यालय और अमेरिकी एजीस एशोर मिसाइल का ठिकाना यानी रेडजिकोवो बेस.
लातविया… सेलोनिया मिलिट्री ट्रेनिंग एरिया, यहां पर नाटो का सबसे बड़ा ट्रेनिंग कैंप है.
लिथुआनिया… रुडनिनकाई मिलिट्री बेस. यह जर्मनी का संभावित स्थाई विदेशी बेस होगा. जिसमें करीब 5000 जर्मन सैनिक रहेंगे. इसका निर्माण हो रहा है.
रोमानिया… देवेसेलू मिलिट्री बेस, यहां पर अमेरिकी एजीस एशोर मिसाइलें रखी हैं. मिहाइल कोगलनिसियानू मिलिट्री बेस. ये नाटो का यूरोप में पूर्वोत्तर बेस है. यहां पर अमेरिकी आर्मी एरिया सपोर्ट ग्रुप ब्लैक सी रीजनल कमांड है.
बुल्गारिया… बेजमेर एयर बेस, यहां पर अमेरिका के लंबी दूरी के विमानों का अड्डा और स्टोरेज फैसिलिटी है. नोवो सेलो रेंज जहां नाटो सैनिकों की ट्रेनिंग होती है. इसके अलावा ग्राफ इग्नातेवियो एयर बेस.
कोसोवो… कैंप बॉन्डस्टील. इसकी स्थापना 1999 में तब की गई थी जब नाटो ने यूगोस्लाविया और कोसोवो पर बमबारी की थी. बालकन इलाके में अमेरिका का सबसे बड़ा बेस.
फिनलैंड… मिक्केली. यहां पर नाटो के मल्टी कॉर्प्स लैंड कंपोनेंट मुख्यालय बनने वाला है. यह रूसी सीमा से मात्र 150 किलोमीटर की दूरी पर है.
स्वीडन… कार्लस्क्रोना नौसैनिक बेस. यहां पर बाल्टिक सागर में नियंत्रण रखने के लिए नाटो सैनिक मौजूद रहते हैं.
जर्मनी… रामस्टीन एयर बेस. यहां पर अमेरिका और नाटो का हवाई बेस है. इस इलाके और मिडिल-ईस्ट में अमेरिकी ऑपरेशंस का मुख्यालय यही है. स्पैंगडाहलेम एयर बेस, नाटो एयर बेस जिलियकिरचेन, बुशेल एयरबेस (यहां पर अमेरिकी परमाणु हथियार रखे हैं), अमेरिकी आर्मी गैरिसन एंसबैश, बावरिया, रीनलैंड-फाल्ज, स्टटगार्ट और विसबैडेन.
बेल्जियम… यूएस आर्मी गैरिसन बेनेलक्स और क्लीन ब्रोगेल एयरबेस (यहां पर अमेरिकी परमाणु हथियार रखे जाते हैं.)
नीदरलैंड्स… वोल्केल एयर बेस जहां पर अमेरिकी न्यूक्लियर हथियार रखे जाते हैं.
इटली… एवियानो एयर बेस जहां पर अमेरिकी परमाणु हथियार रखे जाते हैं. घेडी एयर बेस, सिसली में सिगोनेला नौसैनिक एयर स्टेशन और अमेरिकी आर्मी गैरिसन.
ग्रीस… क्रेटे में नौसैनिक सपोर्ट एक्टिविटी सौदा बे.
इंग्लैंड …. रॉयल एयर फोर्स लेकेनहीथ, मिल्डेनहॉल, एल्कॉनबरी, मोल्सवर्थ, क्रूटन, फेयरफोर्ड, वेलफोर्ड, वाइकॉम्ब और पोर्ट्समाउथ नौसैनिक बेस.
स्पेन … रोटा नौसैनिक बेस, जहां पर छह अमेरिकी डेस्ट्रॉयर जंगी जहाजों का स्थाई घर है. इसके अलावा मोरोन एयर बेस.
पुर्तगाल… लाजेस एयर बेस, यहां पर नाटो का ट्रांसएटलांटिक लॉजिस्टकिकल हब है. यहां हमला करने के लिए रूस ओरेश्निक मिसाइल को मॉस्को के नजदीक लाना होगा.
अब जानिए ओरेश्निक मिसाइल की ताकत…
यह एक हाइपरसोनिक मीडियम रेंज बैलिस्टिक मिसाइल (MRBM) है. जो अधिकतम 12,300 km/hr की स्पीड से उड़ान भरते हुए 5500 किलोमीटर रेंज तक हमला कर सकती है. इसमें मल्टीपल इंडेपेंडेटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल्स (MIRV) सिस्टम है. यानी एक साथ कई टारगेट पर हमला कर सकती है. इसमें एकसाथ 6 से 8 हथियार लगा सकते हैं. यानी यह एक बार इतने टारगेट्स पर हमला कर सकती है.
इस मिसाइल में दोनों तरह के हथियार यानी पारंपरिक और न्यूक्लियर लगाए जा सकते हैं. यह हवा में टारगेट की तरफ बढ़ते समय दिशा और एंगल बदल सकती है, ताकि दुश्मन का एयर डिफेंस सिस्टम इसे रोक न पाए. इसे बनाया गया है ताकि दुश्मन के हाई-वैल्यू मिलिट्री टारगेट, स्ट्रैटेजिक इंफ्रास्ट्रक्चर और नाटो डिफेंस सिस्टम को खत्म किया जा सके. हाइपरसोनिक होने की वजह से इसे राडार जल्दी पकड़ नहीं पाते.
19 मिनट में इंग्लैंड, 10 मिनट में जर्मन को उड़ा सकती है ये मिसाइल
अगर यह मिसाइल रूस के अस्त्राखान से दागी जाती है तो इंग्लैंड पहुंचने में इसे 19 मिनट, बेल्जियम पहुंचने में 14 मिनट, जर्मनी पहुंचने में 11 मिनट और पोलैंड पहुंचने में मात्र 8 मिनट लगेंगे. इस मिसाइल की तकनीक को सोवियत समय के पायोनियर (RSD-10) मिसाइल सिस्टम जैसा रखा है. जिसे अमेरिका और सोवियत संघ में 1987 की INF ट्रीटी के बाद खत्म कर दिया गया था.
इस ट्रीटी के तहत ये समझौता हुआ था कि दोनों देश जमीन से लॉन्च होने वाली बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों को खत्म करेंगे. खासतौर से 500 से 5500 किलोमीटर रेंज वाली. 1991 तक रूस ने 2692 मिसाइलों को खत्म कर दिया था. जिसमें पायोनियर मिसाइल भी शामिल थी. लेकन उसकी तकनीक तो अब भी रूस के पास है.
अमेरिका और नाटो के पास इस मिसाइल को रोकने की ताकत नहीं
रूसी सेना के रिटायर्ड कर्नल विक्टर लिटोवकिन ने कहा कि अमेरिका और नाटो के पास इस मिसाइल को रोकने की ताकत नहीं है. अब तक ICBM मिसाइलों को हाइपरसोनिक बनाया जाता था. लेकिन रूस ने मीडियम और इंटरमीडियट रेंज की मिसाइल को हाइपरसोनिक बना दिया था. इसकी गति ही इसे सबसे ज्यादा ताकतवर बनाती है. पश्चिमी देशों के पास ऐसी कोई मिसाइल नहीं है, जो इस गति में उड़ान भर सके.
अमेरिका के पास जो डार्क ईगल और ओपफायर जैसे प्रोग्राम की मिसाइलें हैं लेकिन वो इससे बहुत कम स्पीड में उड़ती हैं. रूस के पास इस रेंज की दो मिसाइलें अभी मौजूद हैं. ओरेश्निक और किंझल. इसके अलावा मैक 27 की गति से उड़ने वाली एवनगार्ड हाइपरसोनिक मिसाइल.