इस बार दीवाली 4 नवंबर को है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर साल दीवाली कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या पर मनाई जाती है. Edited by अनु चौहान, Updated: 3 नवम्बर, 2021 12:06 PM

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Diwali 2021: रोशनी का त्योहार दीवाली (Diwali, Deepawali, Deepavali, Divali) हिंदू धर्म का सबसे बड़ा त्योहार है. इस दिन हर घर हर गली दीयों के उजाले से जगमगा उठती है.

दिवाली सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बहुत धूमधाम से मनाई जाती है. इस दिन हर तरफ दीयोंऔर लड़ियों से रोशनी फैलाई जाती है. दीवाली या दीपावली(Diwali or Deepavali) का शाब्दिक अर्थ ही है दीयों को श्रृंखला में लगाना.

मान्यता है कि यही दीये अंधकरा पर प्रकाश, असत्य पर सत्य, अज्ञान पर ज्ञान और बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाते हैं. दिवाली को अन्य भाषाओं में अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे बंगाली में ‘दीपाबॉली’ नेपाली में ‘तिहार’ और ‘स्वन्ति’ सिंधी में ‘दियारी’, और मारवाड़ी में ‘दियाळी’. यहां जानिए दिवाली लक्ष्मी पूजन के शुभ मुहूर्त, पूजा की सामग्रियों, पूजा- विधि और दीवाली से जुड़ी मान्यताएं के बारे में.

दीवाली कब है?
इस बार दीवाली 4 नवंबर (Thursday, 4 November, Diwali 2021) को मनाई जा रही है. 3 नवंबर को छोटी दीवाली है. इस दिन को नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है. छोटी दीवाली को यम की पूजा और अभ्‍यंग स्‍नान करने की परंपरा है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर साल दीवाली कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या पर मनाई जाती है.

दीवाली पूजा का शुभ मुहूर्त
दीपावली का पर्व विक्रम संवत कैलेंडर के अनुसार कार्तिक मास के पहले दिन अमावस्या को मनाया जाता है. लक्ष्मी पूजा भी दीवाली उत्सव का एक हिस्सा होता है जो 4 नवंबर को होगी. दीवाली पूजा या लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त 4 नवंबर को शाम 6 बजकर 9 मिनट से 8 बजकर 4 मिनट तक है.

दीवाली पूजा के लिए जरूरी सामग्रियां
लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा, लक्ष्मी जी को अर्पित किए जाने वाले वस्त्र, लाल कपड़ा, सप्तधान्य, गुलाल, लौंग, अगरबत्ती, हल्दी, अर्घ्य पात्र, फूलों की माला और खुले फूल, सुपारी, सिंदूर, इत्र, इलायची, कपूर, केसर, सीताफल, कमलगट्टे, कुशा, कुंकु, साबुत धनिया (जिसे धनतेरस पर खरीदा हो), खील-बताशे, गंगाजल, देसी घी, चंदन, चांदी का सिक्का, अक्षत, दही, दीपक, दूध, लौंग लगा पान, दूब घास, गेहूं, धूप बत्ती, मिठाई, पंचमेवा, पंच पल्लव (गूलर, गांव, आम, पाकर और बड़ के पत्ते), तेल, मौली, रूई, पांच यज्ञोपवीत (धागा), रोली, लाल कपड़ा, चीनी, शहद, नारियल और हल्दी की गांठ.

दीपावली के दिन लक्ष्‍मी पूजन की विधि
धनतेरस के दिन माता लक्ष्‍मी और भगवान गणेश की नई मूर्ति खरीदकर दीपावली की रात उसका पूजन किया जाता है. यहां पर हम आपको दीपावली के दिन लक्ष्‍मी पूजन की विस्‍तृत विधि बता रहे हैं:

मूर्ति स्‍थापना: सबसे पहले एक चौकरी पर लाल वस्‍त्र बिछाकर उस पर मां लक्ष्‍मी और भगवान गणेश की प्रतिमा रखें. अब जलपात्र या लोटे से चौकी के ऊपर पानी छिड़कते हुए इस मंत्र का उच्‍चारण करें.

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