जहरीली हवा के कारण सोमवार को पंजाब से लेकर बंगाल तक देश की लगभग 40 प्रतिशत आबादी की सांसों पर संकट गहरा गया। उत्तर में अमृतसर से लेकर पूर्व में बंगाल के आसनसोल तक वायु गुणवत्ता चिंताजनक रही।
सेटेलाइट चित्रों में गंगा के संपूर्ण मैदानी क्षेत्र से सटे शहरों में हानिकारक धुंध देखी गई। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी AQI 421 रहा, जबकि राजस्थान के भिवाड़ी में यह आंकड़ा 433 तक पहुंच गया।
अमृतसर से धनबाद तक असर
खराब वायु गुणवत्ता की बात करें तो अमृतसर में 312, फरीदाबाद में 412, गाजियाबाद में 391, लखनऊ में 251, पटना में 265, आसनसोल में 215 और धनबाद में 255 एक्यूआई दर्ज किया गया। बता दें, 50 तक एक्यूआई को स्वास्थ्य के लिए ठीक माना जाता है, जबकि 151 से 200 तक यह मध्यम खराब की श्रेणी में पहुंच जाता है। 301 से 400 बहुत खराब और 401 से अधिक एक्यूआई अति गंभीर माना जाता है।
त्रिपुरा, महाराष्ट्र और गुजरात भी जद में
सर्दी आते ही हवा का मिजाज बिगड़ने की ताजा तस्वीर डराती है, जिसमें यह हानिकारक धुंध उत्तर पूर्व में असम के बिरनीहाट और त्रिपुरा के अगरतला तक लोगों के लिए मुश्किल का सबब बन रही है। बिरनीहाट में सोमवार में एक्यूआई 293 और अगरतला में 224 रहा। मध्य, पश्चिम और पूर्वी भारत के शहर भी खराब हवा की मार से कराहने लगे हैं। इसमें मध्य प्रदेश के ग्वालियर (286), महाराष्ट्र के नवी मुंबई (261) और उल्हासनगर (269), गुजरात का अंकलेश्वर (216) और ओडिशा का अंगुल (242) शामिल हैं।
कहीं पराली तो कहीं स्थानीय प्रदूषक हैं कारण
गंगा वाले क्षेत्रों में पराली जलाने, मौसमी परिस्थितियों और भौगोलिक स्थितियों को खराब वायु गुणवत्ता का प्रमुख कारण माना जाता है जबकि देश के अन्य क्षेत्रों में इसके लिए उद्योग और वाहनों का प्रदूषण, धूल और कचरा जलाने जैसे स्थानीय कारण जिम्मेदार माने जाते हैं।