अब इन जातियों को भी मिलेगा आरक्षण, अमित शाह ने हरियाणा में चुनाव से पहले खेला बड़ा दांव

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महेंद्रगढ़ में आयोजित ओबीसी सम्मान रैली के जरिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ओबीसी समाज को साधने में काफी हद तक कामयाब रहे। उन्होंने रैली के मंच से ओबीसी के लिए तीन बड़ी घोषणाएं कर दी हैं। हरियाणा में ओबीसी आरक्षण में लगाई गई क्रीमीलेयर की सीमा छह लाख से आठ लाख करने की घोषणा की।

इसमें तनख्वाह और कृषि आय भी नहीं गिनी जाएगी। पंचायतों में ओबीसी ग्रुप ए में आठ प्रतिशत आरक्षण था। अब ओबीसी ग्रुप-बी के लिए पंचायतों और नगर परिषद में भी पांच-पांच प्रतिशत आरक्षण मिलेगा। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इन तीनों घोषणाओं से संबंधित नॉटिफिकेशन की कॉपी भी हाथोंहाथ मंच पर ही मुहैया करवा दी।

तुर्प का इक्का साबित हो सकता है भाजपा का दांव
बीसी ए का आठ प्रतिशत आरक्षण बना रहेगा। आने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा का यह निर्णय तुर्प का इक्का साबित हो सकता है। केंद्रीय मंत्री अमितशाह ने कहा कि हमने ओबीसी वर्ग से मुख्यमंत्री बनाया है। केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय, सैनिक स्कूल और नीट की परीक्षाओं में पहली बार 27 प्रतिशत आरक्षण देने का काम नरेन्द्र मोदी की सरकार ने किया।

उन्होंने इन घोषणाओं के साथ ही जहां, कांग्रेस को पिछड़ा वर्ग विरोधी करार दिया। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री चौ. भूपेंद्र सिंह हुड्डा को भी उनके हिसाब मांगने के अभियान पर पलटवार करते हुए चुनौती दे डाली।

‘बनिया का बेटा हूं, दस साल का है हिसाब’
उन्होंने कह डाला कि वे बनिये के बेटे हैं और पिछले दस साल का पूरा हिसाब उनके पास है, लेकिन हुड्डा साहब आप भी अपने दस साल के कुशासन का हिसाब जनता को दो। देश को पहला सजग बीसी प्रधान मंत्री भाजपा ने दिया। काका साहेब कालेकर कमिशन बना पर कांग्रेस ने लागू नहीं किया।

कांग्रेस सरकार ने ओबीसी आरक्षण का किया विरोध
इंदिरा ने 1980 में मंडल कमीशन ठंडे बस्ते में डाल दिया। राजीव गांधी ने ओबीसी के रिजर्वेशन का विरोध किया। हरियाणा में पिछड़े वर्ग की कल्याण की कई योजनाएं बनी हैं। पिछड़ा वर्ग के गरीब के बेटे नायब सैनी को हरियाणा का मुख्यमंत्री बनाया है। अब इनके नेतृत्व में हरियाणा आगे बढ़ेगा। कांग्रेस ने जातिवाद और भ्रष्टाचार के सिवाये हरियाणा को कुछ नहीं दिया।

केंद्रीय मंत्री अमित शाह और भाजपा द्वारा ओबीसी कार्ड खेलने के पीछे की रणनीति को समझना भी जरूरी है। हरियाणा में ओबीसी समाज करीब 42 प्रतिशत है। बात करें अहीरवाल की तो यहां पर तो यह आंकड़ा 70 प्रतिशत से ऊपर हो जाता है।

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