जिस मुकदमे को लेकर जल्दी-जल्दी तारीख पड़ने व अत्यधिक धनराशि का आदेश होने का हवाला देते हुए अतुल सुभाष ने मौत को गले लगाया, वह अब नहीं चलेगा।
परिवार न्यायालय ने 29 जुलाई को आदेश दिया था कि अतुल अपने चार वर्षीय बेटे व्योम को प्रतिमाह 40 हजार रुपये भरण-पोषण के लिए अदा करे। कोर्ट ने पत्नी निकिता को खर्च देने का दावा खारिज कर दिया था, क्योंकि खुद नौकरीपेशा होने के कारण अपना भरण-पोषण करने में सक्षम थी। बेटे व्योम के लिए 40 हजार भरण-पोषण के आदेश में उल्लिखित धनराशि की वसूली के लिए निकिता ने व्योम की तरफ से अतुल के विरुद्ध मुकदमा दायर किया था। इस मुकदमे की सुनवाई सोमवार को है।
इस संबंध में अतुल के अधिवक्ता अवधेश तिवारी ने बताया कि भरण-पोषण का फौजदारी का मुकदमा आरोपित की मृत्यु के बाद समाप्त हो जाता है। जहां तक अतुल की संपत्ति से वसूली का प्रश्न है तो अब वह बेटा अतुल की संपत्ति का खुद ही मालिक हो जाएगा। अपनी ही संपत्ति से अपने लिए वसूली का कोई मतलब नहीं होता।
चूंकि वह मुकदमा केवल अतुल के खिलाफ चल रहा था। अतुल की मृत्यु के बाद अब वह मुकदमे में वकील भी नहीं रह गए।
अब यदि बच्चे व्योम के पक्ष से कोई उपस्थित नहीं होता है तो मुकदमा खारिज हो जाएगा या उसके पक्ष से यह सूचना दे दी जाए की अतुल की मृत्यु हो चुकी है तब वह मुकदमा निष्प्रभावी हो जाएगा। दहेज उत्पीड़न व घरेलू हिंसा का मुकदमा अन्य आरोपितों के विरुद्ध चलता रहेगा, क्योंकि उसमें अतुल के अलावा अन्य लोग भी मुल्जिम हैं।
अतुल के भाई ने सुप्रीम कोर्ट से कमेटी गठन कर जांच करने के मांग की
संवाद सहयोगी, जौनपुर। मृत अतुल सुभाष के भाई विकास ने मीडिया को बताया वह सुप्रीम कोर्ट से मांग करेंगे कि कमेटी गठित कर मामले की जांच करे। साथ ही नरेंद्र मोदी की सरकार को यह कहना चाहता हूं कि वह कुछ अपने स्तर पर कमेटी बनाकर मामले के निष्पक्ष जांच कराएं। मीडिया से कहा कि इसमे जज का नाम भी शामिल हो सकता है।
उन्होंने कहा कि उम्मीद करता हूं कि मीडिया जज का नाम आने के बाद भी कोई दबाव महसूस नहीं करेगी।
कहा कि चार साल के बच्चे के लिए 40 हजार देने का आदेश हुआ। यह कहां तक जायज है। इसके लिए कोई नियम होना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि मेरा भाई नहीं रहा तो मेरे बच्चे का अधिकार मुझे मिले, हमारे परिवार को मिले, जिससे उसकी उचित परवरिश हो सके। कहा कि अब मुझे पूरे परिवार को देखना है। अपने माता-पिता का ख्याल रखना है। मेरे भाई खुदकुशी की है। न्याय के लिए मैं किसी भी हद तक जाऊंगा।