ब्रिटेन के प्रधान मंत्री बोरिस जॉनसन अगले सप्ताह भारत की यात्रा करने वाले हैं. इस दौरान बोरिस जॉनसन प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के साथ व्यापार और सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा करेंगे.
जॉनसन ने यात्रा से पहले एक बयान में कहा, “चूंकि हम निरंकुश राज्यों से अपनी शांति और समृद्धि के लिए खतरों का सामना कर रहे हैं, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि लोकतंत्र और मित्र एक साथ रहें.”
यूक्रेन पर रूस के आक्रमण पर ब्रिटेन और भारत के अलग-अलग विचार हैं. एक तरफ जहां लंदन ने मॉस्को पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं और कीव को हथियारों की आपूर्ति की है. वहीं दूसरी तरफ मोदी सरकार ने क्रेमलिन की खुले तौर पर निंदा नहीं की है. यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के वोट का समर्थन नहीं किया है. भारत का कहना है कि रूस उसका पुराना मित्र और उसकी विदेश नीति का एक जरूरी स्तंभ है.
ब्रिटिश पीएम जॉनसन ने कहा कि 21-22 अप्रैल की यात्रा में रोजगार सृजन और आर्थिक विकास से लेकर ऊर्जा सुरक्षा और रक्षा मसले अहम होंगे. उन्होंने कहा, “भारत एक प्रमुख आर्थिक शक्ति और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में, इस समय में यूके के लिए एक अहम रणनीतिक भागीदार है.” जॉनसन के कार्यालय ने कहा कि ब्रिटिश पीएम और प्रधान मंत्री मोदी 22 अप्रैल को दिल्ली में अपनी “रणनीतिक रक्षा, राजनयिक और आर्थिक साझेदारी” पर “गहन वार्ता” करेंगे.
डाउनिंग स्ट्रीट ने अपने बयान में कहा कि गुजरात में ब्रिटने के प्रधानमंक्षी बोरिस जॉनसन नई विज्ञान, स्वास्थ्य और प्रौद्योगिकी परियोजनाओं के साथ-साथ यूनाइटेड किंगडम और भारत में प्रमुख उद्योगों में बड़े निवेश की घोषणा कर सकते है.
बोरिस जॉनसन ब्रिटेन और भारत के बीच एक मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत में आगे बढ़ने का भी प्रयास करेंगे. उनके कार्यालय के अनुसार, द्विपक्षीय व्यापार को “2035 तक सालाना £28 बिलियन ($37 बिलियन, 34 बिलियन यूरो) तक बढ़ाया जा सकता है”