CAA के खिलाफ दाखिल 200 से ज्यादा याचिकाएं, सुप्रीम कोर्ट आज से शुरू करेगा सुनवाई

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देशभर में सीएए (Citizenship Amendment Act) लागू होने पर विपक्ष लगातार हमलावर है. हालांकि गृहमंत्री ने साफ कर दिया है कि CAA इस देश का कानून है. हमने घोषणापत्र में वादा किया था. बीजेपी का एजेंडा बिल्कुल साफ है. मोदी की हर गारंटी पूरी होगी.

केंद्र सरकार ने 11 मार्च को देशभर में CAA लागू कर दिया था. लेकिन इसके विरोध में उठने वाले स्वर भी कम नहीं है. नागरिकता कानून के खिलाफ (Citizenship Amendment Act) सप्रीम कोर्ट में ढेरों याचिकाएं दाखिल की गई हैं, जिनपर आज से सुनवाई शुरू होगी.

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ खुद सीएए पर दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई शुरू करेंगे, उनकी बेंच में अन्य 2 जज भी सुनवाई में शामिल हैं.मंगलवार यानी कि 19 मार्च को नागरिकता कानून के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई होगी.

सीएए को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में देशभर से 237 याचिकाएं दाखिल की गई थीं. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी समेत कई विपक्षी दल नागरिकता कानून का विरोध कर रहे हैं.

CAA 11 नवंबर 2019 को संसद से पास हुआ था. उस समय इसे लेकर काई याचिकाएं दाखिल की गई थीं. 11 मार्च 2023 को इसे अधिसूचित किए जाने के बाद भी कई याचिकाएं इसके विरोध में दाखिल की गई हैं.

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) ने कहा कि CAA के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कुल 192 याचिकाएं लंबित हैं. ऐसे में सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करने का निर्देश दे रहे हैं.

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ सप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिकाओं में इसे संविधान के खिलाफ और धर्म के आधार पर भेदभाव करने वाला बताया गया है.

नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) के मुद्दे पर AIMIM प्रमुख सदुद्दीन ओवैसी भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं. ओवैसी ने कोर्ट में दायर याचिका में अपील की है कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के कार्यान्वयन पर तत्काल रोक लगाई जाए.

औवेसी ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि CAA का NRC के साथ अपवित्र गठजोड़ है. NRC के जरिए भारतीय मुसलमानों को निशाना बनाने की योजना है. CAA के बाद NRC आ रहा है.

इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया, असम कांग्रेस के नेता देवब्रत सैकिया और असम की संस्था AJYCP की तरफ से याचिका दाखिल कर CAA नोटिफिकेशन पर रोक लगाने की मांग की गई है.

गृहमंत्री अमित शाह पहले ही साफ कर चुके हैं कि एनआरसी और सीएए का कोई लेना-देना नहीं है, ये कानून कभी वापस नहीं होगा. ये शरणार्थियों को न्याय देने का मुद्दा है. बता दें कि CAA में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का प्रावधान है.

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