देशभर में गणेश चतुर्थी की धूम, हर तरफ गणपति बप्पा मोरया की गूंज; जानिए स्थापना मुहूर्त

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आज देशभर में गणेश चतुर्थी बड़े धूम-धाम से मनाई जा रही है। दस दिनों तक चलने वाले इस महापर्व के लिए मुंबई समेत पुर उत्तर भारत में जोरों पर तैयारियां शुरू हो गई है।

आज आम जनता से लेकर नेता और नेता से लेकर अभिनेता तक अपने घरों पर गणपती जी की स्थापना करेंगे। मुंबई में इस पर्व को बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। मुंबई पुलिस ने भी इसके लिए एड्वाइजरी भी जारी कर दी है। वहीं दूसरी तरफ गणेश चतुर्थी से एक दिन पहले, प्रसिद्ध उड़िया कलाकार सुदर्शन पटनायक ने ‘विश्व शांति’ के संदेश के साथ भगवान श्री गणेश का एक उत्कृष्ट चित्र बनाया।

गणेश चतुर्थी का महत्व

बता दें कि गणेश चतुर्थी त्योहार हिंदू कैलेंडर के भाद्रपद महीने में आता है। यह दिन शिव और पार्वती के पुत्र भगवान गणेश के जन्म का प्रतीक है। इस पर्व को विनायक चतुर्थी या गणेशोत्सव के रूप में भी जाना जाता है। इस त्योहार की विशेषता यह है कि इस दिन लोग अपने घरों और ऑफिस में गणेश जी के स्वागत के लिए पंडाल लगते हैं और भगवान श्री गणेश जी की मूर्तियों की स्थापना करते हैं। 10 दिवसीय उत्सव का समापन गणेश विसर्जन के साथ होता है। अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश जी की मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है।

गणेश चतुर्थी मुहूर्त

19 सितंबर 2023 मंगलवार को गणेश चतुर्थी

मध्याह्न गणेश पूजा मुहूर्त: सुबह 11:01 बजे से दोपहर 01:28 बजे तक

28 सितंबर 2023 गुरुवार को गणेश विसर्जन

दोपहर 12:39 बजे से रात 08:10 बजे तक

चतुर्थी तिथि आरंभ: 18 सितंबर 2023 को दोपहर 12:39 बजे

चतुर्थी तिथि समाप्त: 19 सितंबर 2023 को दोपहर 01:43 बजे

किसी भी नए कार्य को शुरू करने से पहले बड़ी सफलता के लिए भगवान श्री गणेश जी का आशीर्वाद लिया जाता है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। उनके कई नाम भी हैं। यही कारण है कि इस दिन लोग उनकी प्रतिमा को घरों में स्थापित करते हैं।

गणेश चतुर्थी पर चंद्र दर्शन वर्जित

हिंदू पंचांग के अनुसार, ऐसी मान्यता है कि गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा का दर्शन नहीं करना चाहिए। गणेश चतुर्थी पर चंद्रमा के दर्शन से मिथ्या दोष या मिथ्या कलंक लगता है। जिसका अर्थ होता है किसी चीज को चुराने का झूठा आरोप आप पर लग सकता है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है, भगवान कृष्ण ने भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन चंद्रमा को देखा था, इसलिए उनपर बहुमूल्य मणि चुराने का झूठा आरोप लग गया था। इसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने मिथ्या दोष से छुटकारा पाने के लिए गणेश चतुर्थी का व्रत रखा था।

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