चीन ने कोविड प्रतिबंधों में ढिलाई का दिया संकेत, बड़े स्तर पर हो रहे विरोध प्रदर्शन बनी वजह

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चीन की सरकार बीते कई महीनों से देश में लगाए गए जीरो-कोविड नीति में अब ढील देने पर विचार कर रही है.

सरकार की तरफ से ऐसे संकेत भी दिए गए हैं. मिल रही जानकारी के अनुसार सरकार का यह फैसला इस नीति के खिलाफ देश भर में हो रहे विरोध प्रदर्शन को देखते हुए लिया गया है. बीते कुछ दिनों में चीन के बड़े शहरों में जिनमें बीजिंग, शंघाई जैसे शहर भी शामिल हैं, में इस नीति के खिलाफ जमकर प्रदर्शन हुआ है.

इन प्रदर्शन के दौरान आम जनता राष्ट्रपति शी जिनपिंग के इस्तीफे तक की मांग भी की. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लीजॉन ने इन प्रतिबंधों में ढील देने की बात पर कहा कि हम फिलहाल बदलते हालात के साथ इसे एडजस्ट कर रहे हैं.

कुछ दिन पहले भी ऐसी खबरे आ रही थीं कि चीन (China) के अधिकारी अब इस बात पर बहस कर रहे हैं कि क्या देश में बाहर से आने वाले यात्रियों के लिए क्वारेंटीन (Quarantine) की समयसीमा को कम किया जाना चाहिए या नहीं.ब्लूमबर्ग के अनुसार, इस मामले से जुड़े लोगों का कहना था कि देश की ज़ीरो कोविड पॉलिसी के कारण चीन बाक़ी दुनिया से कट रहा है.

चीन के अधिकारी अब चीन पहुंचने पर क्वारेंटीन की समय-सीमा को घटा कर दो दिन होटल में और फिर पांच दिन घर पर करने की योजना बना रहे हैं. फिलहाल चीन में विदेश यात्रा से पहुंचने वाले यात्रियों के लिए 10 दिन का आइसोलेशन आवश्यक है. इसमें 7 दिन होटल रूम में बिताने होते हैं और फिर तीन दिन घर पर. घर पर भी उन लोगों को मॉनिटर किया जाता है और नियमित टेस्ट किया जाता है.

फिलहाल यह साफ नहीं है कि घर पर दिए जाने वाले आइसोलेशन के समय में क्या प्रतिबंध लागू होंगे और इसे उन विदेशी यात्रियों पर कैसे लागू किया जाएगा जिनका चीन में कोई घर नहीं है. इस कदम से देश के नए कोविड प्रोटोकॉल जारी होने की संभावना है. चीन में अधिकारी वायरस के मामले बढ़ने पर इन्हीं प्रोटोकॉल के अनुसार काम करते हैं. नेशनल हेल्थ कमीशन के पास इन प्रोटोकॉल की ज़िम्मेदारी है, फिलहाल उन्होंने इस बारे में कोई भी टिप्पणी करने से मना कर दिया है.

यह चर्चा ऐसे समय में हो रही थी कि जब निवेशक देख रहे हैं कि उसकी ज़ीरो कोविड पॉलिसी से चीन की अर्थव्यवस्था को कितना नुकसान पहुंच रहा है. चीन लगातार वायरस को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहा है जबकि बाकी दुनिया लगभग इसके साथ रहना सीख गई है.

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