आप सभी की प्रार्थनाओं से मैं लगातार दूसरों की सेवा के लिए समर्पित और दृढ़ संकल्पित हूं। मुझे पूरा विश्वास है कि एक दिन तिब्बत का मसला जरूर सुलझेगा। मैं लगातार इसके लिए प्रार्थना कर रहा हूं।
आप सब भी इसके लिए प्रार्थना करें। मैक्लोडगंज के मुख्य बौद्ध मंदिर में तिब्बतन चिल्ड्रन्ज विलेज के पूर्व छात्रों और नॉर्थ अमेरिकन तिब्बतन एसोसिएशन की ओर से लंबी आयु के लिए आयोजित प्रार्थना सभा में दलाईलामा ने यह बात कही।
तिब्बती धर्मगुरु ने कहा कि मैंने बौद्ध चित्त को अपने जीवन का एक बुनियादी सिद्धांत बनाया है। इसलिए मैंने अपना जीवन दूसरों के कल्याण के लिए समर्पित कर दिया है। इसके परिणामस्वरूप आज मेरा अपना स्वयं का स्वास्थ्य भी अच्छा है और मानसिक रूप से भी मैं शांत हूं। मैं रोज सुबह उठकर बौद्ध चित्त का अभ्यास करता हूं।
आप सभी से भी मेरा निवेदन है कि नियमित रूप से जीवन में ध्यान और बौद्ध चित्त का अभ्यास करें। उन्होंने कहा कि हर प्राणी सुख की इच्छा करता है। संसार का हर सुख परोपकार की भावना से प्राप्त होता है और हर दुख स्वार्थ की भावना से। हम लोगों में स्वार्थ की भावना ज्यादा रहती है। इसलिए बौद्ध चित्त का अभ्यास बहुत जरूरी है।