PM Modi US Visit: भारत-अमेरिका के बीच हुए रक्षा सौदों से तैयार होगा भविष्य का रोडमैप

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भारत और अमेरिका के रक्षा क्षेत्र में सहयोग को नए पायदान पर ले जाने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच संयुक्त बयान में बनी सहमति इस बात का साफ संकेत है कि दोनों देशों के रक्षा रणनीतिक संबंधों में अब एक नए युग की शुरुआत होगी।

भारतीय वायुसेना के लिए संयुक्त रूप से लड़ाकू जेट इंजन बनाने के लिए अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक (जीई) और हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के बीच हुए समझौते ने इसका आधार रख दिया है।

जीई और एचएएल के बीच हुआ समझौता साफ संकेत है कि रक्षा क्षेत्र में अमेरिका अब भारत को अहम तकनीक ट्रांसफर करने को भी तैयार है। रक्षा सहयोग की मजबूत होती बुनियाद का ही नतीजा है कि भारत और अमेरिका ने अपने रिश्तों को खरीदार-विक्रेता के दौर से आगे निकाल कर रणनीतिक साझेदारी के दौर में प्रवेश करने के संदेश दिए हैं।

मोदी और बाइडन की शिखर बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में रक्षा साझेदारी को दोनों देशों के मजबूत रिश्तों की अहम कड़ी बताया गया है। इसमें कहा गया है कि रक्षा क्षेत्र में भारत-अमेरिका की प्रमुख साझेदारी वैश्विक शांति और सुरक्षा के एक स्तंभ के रूप में उभरी है। रक्षा औद्योगिक सहयोग रोडमैप पर दोनों देशों में जो सहमति बनी है, उससे उन्नत रक्षा प्रणालियों के सह-उत्पादन और सहयोगात्मक अनुसंधान व परीक्षण का रास्ता खुलेगा।

दोनों देशों ने संयुक्त बयान में रक्षा औद्योगिक सहयोग में किसी भी नियामक बाधा को दूर करने की प्रतिबद्धता जताई है। रक्षा औद्योगिक रोडमैप के तहत भारत में विमानों और जहाजों के लिए रसद, मरम्मत और रखरखाव के बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए दोनों देश मिलकर काम करेंगे। मोदी और बाइडन ने लाइट कांबैट एयरक्राफ्ट एमके-2 के लिए भारत में इंजन निर्माण के समझौते को ऐतिहासिक बताते हुए इसकी सराहना की।

भारत में इस जेट इंजन के निर्माण से अमेरिकी जेट इंजन प्रौद्योगिकी का पहले से कहीं अधिक हस्तांतरण संभव हो सकेगा। जनरल एटामिक्स एमक्यू-9बी हेल मानव रहित विमान (यूएवी) खरीदने की भारत की योजना को भी दोनों नेताओं ने अहम माना। एमक्यू-9बी को भारत में असेंबल किया जाएगा। इस योजना के हिस्से के रूप में जनरल एटामिक्स स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को बढ़ावा देने के भारत के दीर्घकालिक लक्ष्यों की खातिर एक व्यापक वैश्विक एमआरओ सुविधा भी स्थापित करेगी।

भारतीय नौसेना पहले से ही दो रिपर ड्रोन का संचालन कर रही है, जिन्हें एक अमेरिकी फर्म से पट्टे पर लिया गया है। रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए यूएस-इंडिया डिफेंस एक्सेलेरेशन इकोसिस्टम की स्थापना की गई है। इसके तहत विश्वविद्यालयों, स्टार्टअप, उद्योग और थिंक टैंक के नेटवर्क के रूप में संयुक्त रक्षा प्रौद्योगिकी नवाचार और उन्नत रक्षा प्रौद्योगिकी के सह-उत्पादन की सुविधा एक दूसरे को मिलेगी। मोदी-बाइडन ने अमेरिकी नौसेना संपत्तियों के रखरखाव और मरम्मत के केंद्र के रूप में भारत के उभरने और भारतीय शिपयार्ड के साथ मास्टर शिप मरम्मत समझौते पर भी खुशी जताई।

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