आज दिल्ली का बजट पेश नहीं किया जाएगा. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के अनुसार केंद्र सरकार ने दिल्ली विधानसभा में मंगलवार को वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट को पेश करने पर रोक लगा दी है.
अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है.यह गुंडागर्दी चल रही है. न्यूज़ 18′ के कार्यक्रम में सोमवार को केजरीवाल ने केंद्र पर ‘सीधे-सीधे गुंडागर्दी’ करने का आरोप लगाते हुए कहा कि देश के इतिहास में पहली बार हुआ है कि एक सरकार के बजट पर रोक लगा दी गई है.
केजरीवाल की ओर से केंद्र की आलोचना करने के बाद गृह मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि मंत्रालय ने आप सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है क्योंकि उसके बजट प्रस्ताव में विज्ञापन के लिए अधिक आवंटन है और बुनियादी ढांचे और अन्य विकास पहलों के लिए अपेक्षाकृत कम राशि आवंटित है. मंत्रालय के एक सूत्र ने कहा, “ आप सरकार ने अब तक हमारे सवालों का जवाब नहीं दिया है.”
‘आप’ सरकार ने आरोपों को झूठ बताया है. उन्होंने दावा किया कि कुल बजट 78,800 करोड़ रुपये का है, जिसमें से 22,000 करोड़ रुपये बुनियादी ढांचे पर खर्च के लिए हैं और सिर्फ 550 करोड़ रुपये विज्ञापनों के लिए निर्धारित किए गए हैं. उन्होंने कहा कि विज्ञापन के लिए आवंटन राशि पिछले साल के बजट के समान ही है.
दिल्ली के वित्त मंत्री कैलाश गहलोत ने एक बयान में कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय को 10 मार्च को ही बजट भेज दिया गया था. लेकिन अब पता चला है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिल्ली सरकार के बजट को लेकर कुछ चिंता जाहिर की थी और मंजूरी देने से मना कर दिया था. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मुख्य सचिव को 17 मार्च को चिट्ठी भेजकर अवगत कराया था. लेकिन रहस्यमई कारणों के चलते मुख्य सचिव ने 3 दिन तक इस चिट्ठी को छुपाया और मुझे इस चिट्ठी के बारे में आज 20 मार्च दोपहर 2:00 बजे ही पता चला.
कैलाश गहलोत ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय की चिट्ठी के साथ बजट की फाइल औपचारिक रूप से मेरे सामने 6:00 बजे पेश की गई. हमने केंद्रीय गृह मंत्रालय की चिंताओं का जवाब मुख्यमंत्री से मंजूरी के बाद आज रात 9:00 बजे LG को भेज दिया है. दिल्ली के बजट को देरी करने के मामले में मुख्य सचिव और वित्त सचिव के रोल की जांच होनी चाहिए. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय दिल्ली के बजट के बारे में झूठ फैला रहा है.
वित्त मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा कि दिल्ली के बजट में करीब 22000 करोड़ रुपये कैपिटल एक्सपेंडिचर के लिए आवंटित किए गए हैं जबकि विज्ञापन के लिए केवल 550 करोड़ रुपये हैं, जैसा कि बीते साल भी थे. केंद्रीय गृह मंत्रालय की चिंता अप्रासंगिक है और ऐसा लगता है कि यह इसलिए की जा रही है ताकि दिल्ली सरकार का अगले साल का बजट बिगाड़ा जा सके.
दिल्ली के उपराज्यपाल दफ्तर के मुताबिक दिल्ली के उपराज्यपाल ने दिल्ली के बजट को कुछ टिप्पणी के साथ 9 मार्च को मंजूरी देकर मुख्यमंत्री के पास फाइल भेजी थी. दिल्ली सरकार ने कानून के मुताबिक राष्ट्रपति की मंजूरी मांगते हुए चिट्ठी केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेज दी. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अपनी टिप्पणी के बारे में दिल्ली सरकार को 17 मार्च को अवगत कराया था. दिल्ली का बजट 21 मार्च को पेश होना था लेकिन मुख्यमंत्री ने उपराज्यपाल को अभी तक फाइल नहीं भेजी है.
दिल्ली विधानसभा का मौजूदा बजट सत्र 23 मार्च को समाप्त होने वाला है.