‘बेहद खराब, जानलेवा, महंगा और गर्म साल’: 2022 में मौसम को लेकर यूएन की एजेंसी का आकलन, भविष्य को लेकर जताया डर
संयुक्त राष्ट्र की मौसम एजेंसी- विश्व मौसम विज्ञान संस्थान (डब्ल्यूएमओ) ने 2022 के मौसम को लेकर अपना आकलन जारी किया है।
एजेंसी ने कहा है कि 2022 मौसम के लिहाज से इतना खराब साल था कि ऐसा लगा जैसे लोग इसकी वजह से अव्यवस्था का शिकार हो गए। रिपोर्ट में कहा गया कि 2022 में पूरी दुनिया जानलेवा बाढ़, सूखे और लू से जूझती दिखाई दी।
डब्ल्यूएमओ की स्टेट ऑफ ग्लोबल क्लाइमेट 2022 रिपोर्ट के मुताबिक, पूरी दुनिया में महासागरों में गर्मी और अम्लता (एसिडिटी) अपने रिकॉर्ड स्तर पर थी और अंटार्कटिक की समुद्री बर्फ और यूरोप के बर्फीले एल्प्स ग्लेशियर अपने रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गए थे। इस रिपोर्ट में कहा गया कि वैश्विक स्तर पर समुद्रों का जलस्तर बढ़ा है। इसके साथ ही हवा में गर्मी को कैद रखने वाले कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन की मात्रा आधुनिक रिकॉर्ड में सबसे ज्यादा दर्ज की गई है।
दुनिया में मौसम के हालात को परखने के लिए वैज्ञानिकों ने जिन ग्लेशियरों को परखा, वे महज 2022 में ही करीब 1.3 मीटर यानी 51 इंच तक पिघल चुके हैं। इसी के साथ यह इतिहास में पहली बार हुआ कि स्विट्जरलैंड के बर्फीले ग्लेशियरों में भी गर्मी के मौसम में बिल्कुल बर्फ नहीं बची।
रिपोर्ट में कहा गया है कि समुद्रों का जलस्तर 1990 के दौर में जितनी तेजी से बढ़ता था, अब उससे दोगुनी तेजी से बढ़ रहा है। डब्ल्यूएमओ के महासचिव पेटेरी तालस ने कहा कि तेजी से पिघलते ग्लेशियरों की वजह से इस सदी के अंत तक महासागरों का जलस्तर 20 से 39 इंच (एक से डेढ़ मीटर) तक बढ़ सकता है।
उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि कार्बन और अन्य ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन पर लगाम लगाने के बावजूद मौसमी स्वरूपों और सभी मानकों में नकारात्मक बदलाव 2060 तक जारी रह सकता है। तालस के मुताबिक, प्रदूषण पहले ही वातावरण को काफी नुकसान पहुंचा चुका है, जिसकी वजह से दुनिया पहले ही ग्लेशियरों के पिघलने और समुद्रों के जलस्तर को को बढ़ने का खेल हार चुकी है।