वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने भाजपा को कड़ी चुनौती देने की तैयारी कर ली है।
औपचारिक घोषणा भले ही अभी न हुई हो, लेकिन राष्ट्रीय राजधानी में दोनों के बीच गठबंधन करके चुनाव लड़ने की सहमति भी बन गई है। इसी के चलते दोनों ही पार्टियों के स्थानीय नेताओं ने अब एक दूसरे के खिलाफ बयान देना या टवीट करना भी बंद कर दिया है। प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी दीपक बाबरिया ने करीब एक माह पहले बयान दिया था कि राजधानी में पार्टी लोकसभा की कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी, अभी फाइनल नहीं हुआ है। देश भर में कांग्रेस गठबंधन की राह पर आगे बढ़ रही है।
दिल्ली में भी ऐसी संभावना बरकरार है। बुधवार को “आप” के प्रदेश संयोजक गोपाल राय ने भी इसकी पुष्टि कर दी। अनौपचारिक बातचीत में राय ने कहा, केवल दिल्ली में ही नहीं, टीम “इंडिया” में शामिल सभी विपक्षी पार्टियां देश भर में इस बार लोकसभा चुनाव मिलकर लडेंगी। यह पूछने पर कि दिल्ली की सात सीटों का बंटवारा कैसे होगा, चार-तीन या पांच- दो? राय ने कहा, यह फार्मूला राष्ट्रीय स्तर पर तय होना है।
एक सवाल के जवाब में राय ने इससे भी मना नहीं किया कि सीएम अरविंद केजरीवाल लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं। उन्होंने कहा, देखते हैं क्या फाइनल होता है। विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि केजरीवाल नई दिल्ली सीट से लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं। दूसरी तरफ 18 जुलाई को विपक्षी पार्टियों के गोलबंद होने के बाद से ही कांग्रेस और आम आदमी पार्टी एक दूसरे के खिलाफ आरोप प्रत्यारोप और बयानबाजी से भी बच रही हैं। न तो आप और न ही प्रदेश कांग्रेस के नेता विरोध का कोई टवीट या बयान जारी कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि गोलबंदी की शुरुआत में प्रदेश कांग्रेस के अनेक वरिष्ठ नेताओं ने अध्यादेश पर पार्टी के निर्णय को स्वीकार करते हुए कहा था कि “आप” के जन विरोधी कार्यों और नीतियों का विरोध जारी रहेगा। लेकिन ऐसा हुआ कुछ नहीं। प्रदेश अध्यक्ष अनिल कुमार ने 17 जुलाई को ट्वीट किया था, हम केजरीवाल या आम आदमी पार्टी का समर्थन नहीं कर रहे हैं। आप नेता सौरभ भारद्वाज को टैग करते हुए कांग्रेस नेता देवेंद्र यादव ने 14 जुलाई को ट्वीट किया था, ये नौटंकियां छोड़कर कभी तो गंभीरता से काम कर लिया करो भाई।
चार जुलाई को वरिष्ठ नेता अजय माकन ने ट्वीट कर आप पर आरोप लगाया था कि दिल्ली के कैपेक्स में 12 प्रतिशत से अधिक की गिरावट से गरीबी और बेरोजगारी में फंसी जनता..। कुछ इसी तरह के हमले कांग्रेस नेता रोज ही आप व केजरीवाल के खिलाफ करते थे और इसमें सभी प्रमुख नेता शामिल होते थे। यहां तक कि प्रदेश कांग्रेस के ट्विटर हैंडल से भी आरोप लगाए जाते थे। लेकिन 18 जुलाई के बाद पार्टी नेताओं ने न सिर्फ मुंह बंद कर लिया है बल्कि ट्विटर हैंडल को भी विराम दे दिया है।