मणिपुर हिंसा और अध्यादेश पर घमासान की आशंका, सरकार के सामने 31 विधेयक पास कराने की चुनौती

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मानसून सत्र आज से शुरू होने जा रहा है। एकजुटता बैठक के बाद होने जा रहे मानसून सत्र में विपक्षी दल और राजग के तीखे तेवर देखने को मिल सकते हैं।

कांग्रेस ने मणिपुर हिंसा पर चर्चा से कोई समझौता नहीं करने का ऐलान कर अपने तेवर पहले ही स्पष्ट कर दिया है। वहीं सरकार की ओर संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने साफ किया कि संसदीय नियमों और अध्यक्ष के निर्देशों के अनुरूप वह मणिपुर समेत किसी भी विषय पर चर्चा के लिए तैयार है।

मणिपुर हिंसा पर चर्चा को प्राथमिकता

मणिपुर हिंसा पर चर्चा से कोई समझौता नहीं करने का ऐलान से साफ है कि इसको लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक हो सकती है। सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, सीपीएम समेत तमाम विपक्षी दलों ने मणिपुर हिंसा पर चर्चा को प्राथमिकता पर रखा। इसके साथ ही दिल्ली अध्यादेश को लेकर भी एकजुट विपक्ष हमलावर दिखेगी और सरकार को घेरने की कोशिश करेगी। आदमी पार्टी समेत सभी विपक्षी नेता सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ लाए इस अध्यादेश को लोकतंत्र और संविधान के खिलाफ बता चुके हैं।

सर्वदलीय और कार्यमंत्रणा समिति की बैठक

बेंगलुरू में इंडिया गठबंधन का स्वरुप देने वाले विपक्ष के एकजुटता की भी मानसून सत्र में पहली परीक्षा होगी। वैसे एकजुट विपक्ष के लिए भी इस अध्यादेश से संबंधित विधेयक को दोनों सदनों से पास होने से रोकना मुश्किल होगा। सर्वदलीय और कार्यमंत्रणा समिति की बैठकों में प्रह्लाद जोशी ने बताया कि 11 अगस्त तक चलने वाले मानसून सत्र में सरकार की ओर से 31 विधेयक पेश किये जाएंगे। इनमें दिल्ली अध्यादेश से जुड़े बिल के अलावा एक फिल्म पाइरेसी को रोकने के कानून का ड्राफ्ट भी शामिल है।

31 विधेयक पेश किये जाएंगे

संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार, सरकार के लिए द्लिली अध्यादेश से संबंधित विधेयक को इसी सत्र में पास कराना जरूरी होगा। इसके साथ ही आयु आधारित वर्ग में फिल्म सर्टिफिकेशन देने, नेशनल रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना, निजी डाटा संरक्षण, वन संरक्षण कानून में संशोधन से संबंधित बिल भी पेश किये जाएंगे। वहीं सरकार मानसून सत्र के दौरान सहकारिता क्षेत्र से संबंधित जन विश्वास संशोधन विधेयक और मल्टी स्टेट कोआपरेटिव सोसाइटीज बिल पास कराने की कोशिश करेगी।

33 फीसद महिलाओं के आरक्षण के प्रावधान का विधेयक

सर्वदलीय बैठक में बीजद, वाइएसआर कांग्रेस और बीआरएस ने महिला आरक्षण का विधेयक पास कराने की मांग की। संसद और विधानसभाओं में 33 फीसद महिलाओं के आरक्षण के प्रावधान का विधेयक राज्यसभा में पहले से ही पारित हो चुका है और लोकसभा में यह लंबित है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी सदन के नेताओं की बैठक में सत्र को सुचारू रुप से चलाने के लिए सबका सहयोग मांगा।

विपक्ष दलों ने अपनी मांग रख दी

वहीं विपक्षी दलों के नेताओं ने साफ कहा कि मणिपुर हिंसा पर पीएम मोदी से संसद के दोनों सदनों में बयान की उनकी मांग है। साथ ही महंगाई, राज्यों के अधिकारों पर अतिक्रमण के साथ संघीय ढांचे पर हमला, अदाणी विवाद पर जेपीसी के गठन की मांग, पूर्वी लाख में एलएसी पर तीन साल से अधिक समय से चीन के साथ जारी सैन्य टकराव गतिरोध जैसे कई अहम मुद्दों पर बहस कराने की विपक्ष दलों ने अपनी मांग रख दी है।

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