अफगानिस्तान (Afghanistan) में गर्ल्स स्कूलों को खोलने के कुछ घंटों बाद ही फिर से बंद करने के फैसले का अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने निंदा की है.
साथ ही तालिबान से गर्ल्स स्कूलों को फिर से खोलने का आह्वान किया है. वहीं यह भी कहा गया है कि इस तरीके के फैसले से बच्चियों का पठन-पाठन प्रभावित होगा. गौरतलब है कि तालिबान (Taliban) के पिछले साल अगस्त में अफगानिस्तान पर कब्जा जमा लेने के बाद वहां पर छात्राओं के लिए स्कूल के दरवाजे बंद कर दिए गए थे.
लेकिन लंबे इंतजार के बाद अफगानिस्तान में जब छात्राएं बुधवार को पहली बार अपनी स्कूलों (Secondary School) में वापस लौटीं तो कुछ देर में नया फरमान जारी हो गया और उन्हें वापस अपने घर लौटना पड़ा.
अमेरिका और कई आन्य देशों ने अफगानिस्तान में लड़कियों के सेकेंड्री स्कूल को फिर से खोलने के कुछ देर बाद बंद करने के तालिबान के फैसले की निंदा की है, और कट्टरपंथी इस्लामी आंदोलन से जुड़े पाठ्यक्रम को हटाने का अनुरोध भी किया है.
बता दें , लड़कियों के लिए स्कूलों को बंद रखने का तालिबान का फैसला दक्षिणी शहर कंधार, आंदोलन के वास्तविक शक्ति केंद्र और रूढ़िवादी आध्यात्मिक केंद्र में वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा मंगलवार देर रात एक बैठक के बाद आया.
पिछले साल अगस्त में अफगानिस्तान पर तालिबानी कब्जे के बाद बुधवार को छात्राएं पहली बार कक्षाओं में लौटीं थीं. लेकिन नया आदेश मिलने के बाद अपने बस्ते के साथ वापस लौटने को मजबूर होना पड़ा.
तालिबान ने बुधवार को अफगानिस्तान में छात्राओं के लिए सेकेंड्री स्कूल खोले जाने के महज कुछ ही घंटों बाद के अंदर फिर से इसे बंद करने का आदेश दे दिया. अब इस फैसले से कट्टरपंथी इस्लामिक ग्रुप की नीतियों को लेकर जनता में विरोधाभास पैदा हो गया है. दूसरी ओर, अमेरिका समेत कई सहयोगी देशों ने तालिबान से कहा है कि वो लड़कियों के लिए स्कूल फिर से खोले.
अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने अफगानिस्तान में नई तालिबानी सरकार को मान्यता देने के लिए सभी को शिक्षा के अधिकार को मुख्य बताचीत में शामिल कर रखा है. बुधवार को जब स्कूल खुले तो राजधानी काबुल में कई लड़कियां स्कूलों में वापस जाती हुई दिखाई दी थीं. तालिबानी शासन शुरू होने के करीब 7 महीने बाद स्कूल फिर से खुल रहे हैं. इस बीच कई देशों और संगठनों ने शिक्षकों को भुगतान करने की पेशकश भी की है.
शिक्षक वजीफा का समर्थन करने के मुद्दे को हल करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा महीनों इस पर काम किया गया, और यह तब आया जब अफगान लड़कियां सात महीनों में पहली बार उत्सुकता से स्कूल वापस जा रही थीं. पश्चिमी देशों ने चेतावनी दी थी कि इस कदम का “तालिबान के देश या विदेश में राजनीतिक समर्थन और वैधता हासिल करने की संभावनाओं पर एक अपरिहार्य प्रभाव पड़ेगा.