शिवसेना के बागी MLA के लिए गुवाहाटी का होटल ‘किले’ में तब्‍दील, आम लोगों के प्रवेश पर रोक

शहर के बाहरी इलाके गोटानगर में स्थित पांच सितारा होटल के बाहर यातायात पुलिस कर्मियों को वहां की सड़कों पर वाहनों की निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित करते देखा गया.

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महाराष्ट्र से आये शिवसेना के बागी विधायकों के समूह को गुवाहाटी के जिस लग्जरी होटल में रखा गया है, उसके बाहर सुरक्षा कर्मी तैनात हैं.

इससे रेडिसन ब्लू होटल एक किले में तब्दील हो गया है. इस होटल में आम लोगों के प्रवेश करने पर तकरीबन अब रोक लगा दी गई है.

गुवाहाटी पुलिस ने होटल के निजी सुरक्षा प्रहरियों से सुरक्षा की जिम्मेदारी अपने हाथ में ले ली है. नजदीक के जलुकबाड़ी पुलिस थाना के कर्मियों के अलावा, असम पुलिस की रिजर्व बटालियन और कमांडो इकाइयों के दर्जनों जवान होटल की कड़ी निगरानी कर रहे हैं. यह होटल लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा से करीब 15 किमी दूर स्थित है.

महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महाविकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार का नेतृत्व कर रही शिवसेना के बागी विधायक मंगलवार को सूरत के लिए रवाना हुए थे, जहां वे दिन भर रुके. इसके बाद एक चार्टर्ड विमान से गुवाहाटी के लिए रवाना हुए थे.

शिवसेना के बागी विधायकों का यह कदम एमवीए सरकार गिराने की एक कोशिश प्रतीत होती है. मंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में यहां पहुंचे विधायकों की अगवानी बुधवार को हवाईअड्डे पर भारतीय जनता पार्टी के सांसद पल्लब लोचन दास और विधायक सुशांत बोरगोहैन ने की.

हालांकि, समझा जाता है कि अपनी पार्टी के पांच विधायकों के साथ आये एक विधायक नितिन देशमुख असम पहुंचने के कुछ घंटों के अंदर महाराष्ट्र लौट गए. भाजपा के एक सूत्र ने बताया कि सुरक्षा कारणों को लेकर विधायकों को गुवाहाटी भेजने का निर्णय लिया गया.

शहर के बाहरी इलाके गोटानगर में स्थित पांच सितारा होटल के बाहर यातायात पुलिस कर्मियों को वहां की सड़कों पर वाहनों की निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित करते देखा गया. सुरक्षाकर्मी प्रत्येक अतिथि को रेडिसन होटल में प्रवेश करने की अनुमति देने से पहले उनकी जांच कर रहे हैं और जिन्होंने पहले से बुकिंग नहीं कराई है उन्हें लौट जाने को कहा जा रहा.

मीडिया कर्मी भी होटल के बाहर इंतजार कर रहे हैं. वहीं, पुलिस उनके सवालों का कोई जवाब नहीं दे रही है तथा होटल के अंदर के घटनाक्रम की जानकारी नहीं ले ने दे रही है. होटल के अधिकारियों ने भी संपर्क किये जाने पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. शायद ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी पश्चिमी राज्य के बागी विधायकों के पार्टी नेतृत्व से बगावत कर देने पर पूर्वोत्तर के एक राज्य में लाया गया.

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