भारतीय रुपया 19 जुलाई, मंगलवार को पहली बार 80 रुपये प्रति डॉलर के स्तर तक गिर गया.
यह रुपये का सार्वकालिक निचला स्तर है. पिछले कुछ दिनों से रुपये में जैसी लगातार गिरावट देखी जा रही थी, उसके बाद यह आशंका लगभग विश्वास में बदल गई थी कि रुपया 80 डॉलर के पार पहुंच जाएगा. पिछले सत्र में रुपया 79.97 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर बंद हुआ था. इसके मुकाबले आज यह 79.98 डॉलर प्रति रुपये के मूल्य पर खुला. हालांकि, इसके तुरंत बाद ही गिरकर 80.05 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर आ गया.
80.05 का स्तर छूने के बाद रुपया 79.93/94 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर ट्रेड कर रहा था.
इस दौरान यूएस डॉलर पिछले एक हफ्ते के निचले स्तर से थोड़ा ऊपर दर्ज हो रहा था.
अगर पिछले सत्र की बात करें तो अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में सोमवार को अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया 16 पैसे की गिरावट के साथ 79.98 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था. कारोबार के दौरान यह थोड़े समय के लिए 80 रुपये प्रति डॉलर के मनोवैज्ञानिक निचले स्तर तक चला गया था. बाजार सूत्रों ने कहा कि रुपये में गिरावट आने का कारण कच्चे तेल की कीमतों में आई तेजी और विदेशी पूंजी की बाजार से लगातार निकासी जारी रहना है.
शुक्रवार को रुपया डॉलर के मुकाबले 17 पैसे की तेजी के साथ 79.82 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर बंद हुआ था.
बाजार विश्लेषकों ने शॉर्ट टर्म में डॉलर-रुपये का हाजिर भाव 79.79 और 80.20 के दायरे में रहने की उम्मीद जताई है.
दिसंबर 2014 के बाद से 25% तक गिरा है रुपया
सोमवार को लोकसभा में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने एक लिखित जवाब में आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक बताया कि रुपया 31 दिसंबर, 2014 के रेट के मुकाबले 25 फीसदी तक गिर गया है. 31 दिसंबर, 2014 को डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत 63.33 थी, जो कि 11 जुलाई, 2022 को 79.41 रुपये प्रति डॉलर दर्ज की गई है. यह 25 फीसदी तक की गिरावट है.
मंत्री ने बताया कि यूएस डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये में आई गिरावट के पीछे कई वैश्विक तथ्य जैसे कि रूस-यूक्रेन संघर्ष, कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें और दबाव में चल रही वैश्विक आर्थिक परिस्थितियां शामिल हैं.