ओडिशा हादसा: मुआवजे की लालच में फर्जी परिजन बन अस्‍पतालों से शवों को कर रहे गायब, अब DNA से होगा सच का खुलासा

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बाहानगा रेल हादसे में मारे गए लोगों के शवों को लेकर भ्रम की स्थिति बढ़ती जा रही है।

बीएमसी आयुक्त विजय अमृता कुलंगे ने कहा कि परिवार के असली सदस्यों की पहचान करने के लिए डीएनए परीक्षण के लिए 33 रक्त के नमूने भेजे गए हैं।

AIIMS दिल्‍ली में भेजे गए खून के नमूने
चूंकि ओडिशा में कोई डीएनए परीक्षण प्रणाली नहीं है इसलिए इसे एम्स भुवनेश्वर की देखरेख में एम्स दिल्ली भेजा गया है। एम्स भुवनेश्वर के कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर आशुतोष बिस्वास ने कहा कि हमने एक दिन के भीतर रिपोर्ट भेजने का अनुरोध किया है।

मृत पिता की तलाश में पहुंचे बेटे को हो रही परेशानी
एम्स भुवनेश्वर में पश्चिम बंगाल के जयनगर के परवेज सहरद लास्का ने खुद को अबूबोका लास्का का बेटा बताया। उनके मुताबिक, ट्रेन हादसे में अपने पिता की मौत की जानकारी मिलने के बाद बाहानगा शव लेने यहां पहुंचे हैं। पिता की मौत की तस्वीरें हैं, लेकिन उन्होंने आरोप लगाया कि शव को कोई और ले गया है। अब एम्स ने डीएनए टेस्ट के लिए उनके खून के नमूने एकत्र किए हैं। बताया जाता है कि रिपोर्ट आने के बाद उनके पिता की पहचान की जाएगी।

परिजनों को नहीं मुआवजे की जरूरत, बस मिल जाए अपनों का पता
इसी तरह मालदा के नितम राय और चंदन राय की तलाश में उनके रिश्तेदार फोनी मंडल जुटे हैं। हादसे की खबर मिलने के बाद उन्होंने बालासोर, सोरो समेत कई इलाकों का दौरा किया। वहां से पता चला है कि नितम और चंदन की पहले ही मौत हो चुकी है।

बालासोर प्रशासन की ओर से नितम के शव का फोटो फोनी को दिया गया, लेकिन उस पर कोई संख्या नहीं थी इसलिए न तो ओडिशा और न ही पश्चिम बंगाल सरकार का हेल्पडेस्क उनके साथ सहयोग कर रहा है। वह किम, सम अस्पताल का चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन कोई फायदा नहीं हो रहा है। उन्हें मुआवजे के पैसे की जरूरत नहीं है, बस शव की जानकारी चाहिए।

पश्चिम बंगाल के 24 परगना के अब्दुल वहाब शेख पांच दिनों से अपने भाई गियाउद्दीन शेख की तलाश कर रहे हैं, लेकिन वह भी निराश हैं इसलिए पश्चिम बंगाल हेल्पडेस्क की सलाह पर अब्दुल ने कहा कि उन्होंने डीएनए टेस्ट के लिए अपना ब्लड सैंपल दिया है।

मुआवजे की लालच में पहुंच रहे फर्जी परिजन
इनके साथ ही एम्स परिसर में कई ऐसे लोग हैं, जिन्‍हें अपने परिजनों का कोई अता-पता नहीं चल पा रहा है। उनका कहना है कि उनके परिजनों के शवों को कोई और ले गया है। कई लोग बालासोर से अपने प्रियजनों के शवों की तस्वीरें लेकर आए हैं। फोटो के टैग नंबर को भी एम्स हेल्प डेस्क की तरफ से देखा जा रहा है।

बावजूद इसके सूची में फोटो नहीं मिल रही है। कई तस्वीरों में टैग नंबर भी नहीं है। कई फर्जी रिश्तेदार भी पहुंचे हैं क्योंकि रेलवे मृतकों के लिए अनुग्रह राशि का भुगतान कर रहा है इसलिए परिवार के शव को उचित व्यक्ति को सौंपने के साथ-साथ अनुग्रह राशि का भुगतान करने के लिए डीएनए टेस्ट की व्यवस्था की गई है।

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