खालिस्तान समर्थक आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर हत्याकांड के मामले में पश्चिमी देश भारत पर दबाव बनाने की रणनीति अख्तियार कर चुके हैं।
शुक्रवार देर रात अमेरिका और ब्रिटेन ने भारत में कनाडाई राजनयिकों को हटाने संबंधी फैसले पर ना सिर्फ चिंता जताई है बल्कि यह भी कहा है कि भारत को विएना समझौते का पालन करना चाहिए। दूसरी तरफ, भारत अपने रुख पर अडिग है।
नहीं सुलझ रहा भारत-कनाडा विवाद
भारत का कहना है कि उसने विएना समझौते के तहत ही दोनों देशों के बीच राजनयिकों की संख्या में तालमेल स्थापित करने के लिए कनाडाई राजनयिकों को हटाने का फैसला किया है। पहले भी यह कहा जा चुका है कि कनाडा के राजनयिक भारत के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप करते हैं, जो स्वीकार नहीं। विवाद सुलझाने के लिए भारत और कनाडा के बीच चल रहे कूटनीतिक विमर्श का भी कोई नतीजा निकलता नहीं दिख रहा है।
राजनयिकों की वापसी से काफी चिंतित
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि हम भारत से कनाडाई राजनयिकों की वापसी से काफी चिंतित हैं। यह वापसी भारत की मांग के बाद हुई है, जिससे कनाडाई राजनयिकों की संख्या काफी घट गई है। किसी भी विवाद के समाधान के लिए राजनयिकों की उपस्थिति बहुत जरूरी है। हमने भारत सरकार से आग्रह किया था कि वह कनाडाई राजनयिकों की संख्या घटाने के लिए दबाव नहीं बनाए और कनाडा की तरफ से जारी जांच में मदद करे। हमें उम्मीद है कि भारत कूटनीतिक संबंधों को लेकर वर्ष 1961 के विएना समझौते का पालन करेगा। इसमें अधिसूचित राजनयिकों के अधिकारों व उनके हितों की रक्षा करना भी शामिल है।
भारत पर दवाब
ब्रिटेन की विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय की तरफ से जारी बयान में भी मोटे तौर पर यही बातें कही गई हैं। हम उम्मीद करते हैं कि सभी देश विएना समझौते का पालन करेंगे। राजनयिकों की दी जाने वाली सहूलियतों को मनमाने तरीके से हटाना विएना समझौते के मुताबिक नहीं है। हम भारत से फिर आग्रह करते हैं कि वह हरदीप सिंह निज्जर हत्यांकाड मामले में कनाडा की सरकार के साथ सहयोग करे।
तीन शहरों में राजनयिकों की संख्या घटाना कनाडा का एकतरफा फैसला
भारत के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को ही पूरे प्रकरण पर विस्तार से जवाब दे दिया था। ब्रिटेन व अमेरिका की प्रतिक्रियाओं को लेकर विदेश मंत्रालय ने कुछ नहीं कहा है। जबकि विदेश मंत्रालय के सूत्रों कहना है कि कनाडा सरकार ने एकतरफा तरीके से चंडीगढ़, मुंबई व बेंगलुरु में अपने राजनयिकों की संख्या घटाई है। भारत की तरफ से इन शहरों में राजनयिकों की संख्या को लेकर कोई बात नहीं हुई थी। भारत सिर्फ ओटावा और नई दिल्ली स्थित राजनयिकों की संख्या को समायोजित करने को लेकर बात कर रहा था।
राजनयिकों की सुविधाओं का निर्धारण
भारत के लिए मुद्दा यह है कि यहां कनाडाई राजनयिकों की संख्या काफी है। जहां तक विएना समझौते का सवाल है तो इसकी धारा 11.1 में साफ तौर पर इस बात का उल्लेख है कि हर देश को दूसरे देश के राजनयिकों की संख्या को अपनी सहूलियत व सामान्य तरीके से नियंत्रित करने का अधिकार है। पूर्व में भी कई देशों ने इस धारा का इस्तेमाल किया है। कनाडा का स्थानीय कानून भी कहता है कि दूसरे देशों में इसके राजनयिकों को जो सुविधाएं मिलती हैं, उसी आधार पर दूसरे देशों के राजनयिकों की सुविधाओं का निर्धारण होना चाहिए।
भारत ने की है राजनयिक उपस्थिति में समानता की मांग
भारत ने कनाडा से राजनयिकों की उपस्थिति में समानता की मांग की है। कनाडा में भारतीय राजनयिकों की संख्या 21 है। दूसरी तरफ, भारत में कनाडा के 62 राजनयिक तैनात थे। इसे देखते हुए भारत ने कनाडा से कहा कि वह अतिरिक्त राजनयिकों को वापस बुलाए। भारत ने चेतावनी दी कि यदि कनाडा ऐसा नहीं करता है, तो अतिरिक्त राजनयिकों और उनके स्वजन को कूटनीतिक सुरक्षा नहीं दी जाएगी। भारत द्वारा निर्धारित समय सीमा खत्म होने से पहले कनाडा ने अपने 41 राजनयिकों को वापस बुला लिया।