कंचनजंघा एक्सप्रेस दुर्घटना में दिखी स्टेशन मास्टर से लेकर गार्ड तक की गलती, अभी दो दिन और होगी जांच
कंचनजंघा एक्सप्रेस से मालगाड़ी की टक्कर में सिर्फ मालगाड़ी के लोको पायलट की गलती नहीं थी। प्रारंभिक जांच में स्टेशन मास्टर, मालगाड़ी के गार्ड और लेवल क्रॉसिंग के रेल कर्मियों की तत्परता और सतर्कता पर भी सवाल खड़े हुए हैं।
पूर्वोत्तर सीमांत (एनएफ) रेलवे के मुख्य सुरक्षा आयुक्त जनक कुमार गर्ग ने जांच के दूसरे दिन बुधवार को रांगापानी के स्टेशन मास्टर, मालगाड़ी के लोको पायलट, गार्ड और लेवल क्रॉसिंग के कर्मचारी से पूछताछ की। दो दिन में लगभग 50 लोगों से पूछताछ के बाद नए तथ्य मिले हैं।
गर्ग अभी और दो दिन जांच करने के बाद अपनी रिपोर्ट देंगे। बता दें कि दार्जिलिंग जिले के रांगापानी और निजबाड़ी स्टेशन के बीच सोमवार को कंचनजंघा एक्सप्रेस को मालगाड़ी ने पीछे से टक्कर मारी थी। इस दुर्घटना में 10 लोगों की मौत हुई है, जबकि 31 लोगों का अब भी इलाज चल रहा है, जिनमें एक की हालत गंभीर है। इस मार्ग पर अब ट्रेनों का परिचालन सामान्य हो गया है।
दुर्घटना के बाद मालगाड़ी के लोको पायलट को माना था दोषी
सोमवार को रेल दुर्घटना के बाद रेलवे के कई वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रारंभिक तौर पर मालगाड़ी के लोको पायलट को टक्कर के लिए दोषी माना था। जांच शुरू करने के बाद कमेटी को लगा कि इतनी बड़ी दुर्घटना सिर्फ एक व्यक्ति की गलती से नहीं हो सकती है। रेलवे की प्रणाली ऐसी नहीं है कि एक व्यक्ति उसे तहस-नहस कर दे।
इसलिए जांच नए तथ्यों के आधार पर आगे बढ़ रही है। सुरक्षा आयुक्त के अलावा जांच में और भी कई विभागों के अधिकारी शामिल हैं। न्यू जलपाईगुड़ी स्थित एडीआरएम कार्यालय में बुधवार को कंचनजंघा एक्सप्रेस के लोको पायलट से भी जानकारी ली गई।
बड़ा सवाल, किसने दिया मालगाड़ी को सभी लाल सिग्नल पार करने का अधिकार
सूत्रों के अनुसार जांच के दौरान रांगापानी स्टेशन मास्टर से यह सवाल था कि जब कंचनजंघा एक्सप्रेस ने अगला स्टेशन पार नहीं किया था तो फिर क्यों मालगाड़ी को एक साथ सभी लाल सिग्नल पार करने का अधिकार दे दिया गया? मालगाड़ी के गार्ड से सवाल था कि सिग्नल खराब होने की स्थिति में भी ट्रेन इतनी तेज दौड़ रही थी तो उन्हें आशंका क्यों नहीं हुई?
लेवल क्रांसिग के कर्मचारियों से पूछा गया कि जब कंचनजंघा एक्सप्रेस अभी-अभी उसी लाइन पर गुजरी थी तो पीछे से जा रही मालगाड़ी की स्पीड को देखकर उन्हें चिंता क्यों नहीं हुई?
लोको पायलट अभी अस्पताल में
मालगाड़ी के सहायक लोको पायलट अभी अस्पताल में हैं। उनकी ड्यूटी लोको पायलट को सिग्नल के बारे में सतर्क करने की होती है। उनसे भी पूछताछ की गई है। सहायक लोको पायलट का बयान इस मामले में महत्वपूर्ण हो सकता है, क्योंकि वह लोको पायलट की मनोदशा और बाकी स्थितियों के चश्मदीद हैं। प्रारंभिक जांच में यह तो पता चल गया है कि मालगाड़ी की गति सीमा तोड़ रही थी।
नियमानुसार चल रही थी कंचनजंघा एक्सप्रेस – उधर, कटिहार डिवीजन के डीआरएम सुरेंद्र कुमार ने पत्रकारों से कहा कि रांगापानी के रेलवे कर्मचारियों के अलावा घटनास्थल तक सभी लेवल क्रॉसिंग के कर्मचारियों से पूछताछ की गई है। बारिश की वजह से सिग्नल सुबह साढ़े पांच बजे से फेल था।
घटना से पहले भी कई ट्रेनें चलीं
सिग्नल फेल होने पर किस तरह गाड़ी चलानी है, इसके कुछ नियम हैं। घटना से पहले भी कई ट्रेनें चलीं। सभी लोको पायलट ने निर्धारित नियमों का पालन किया। कंचनजंघा एक्सप्रेस भी नियमानुसार चली। मालगाड़ी की टीम ने ऐसा क्यों नहीं किया, इसी की जांच की जा रही है।
लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन का आरोप
कंचनजंघा एक्सप्रेस दुर्घटना के बाद मालगाड़ी के लोको पायलट को दोषी ठहराने को लेकर शुरू हुए विवाद के बीच पूर्वोत्तर सीमांत (एनएफ) लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन ने आरोप लगाया है कि लोको पायलट, चीफ लोको इंस्पेक्टर और स्टेशन मास्टर को स्वचालित सिग्नल प्रणाली का विधिवत प्रशिक्षण ही नहीं दिया जा रहा है तो वे सुरक्षित ढंग से कैसे ट्रेन चला पाएंगे।
एसोसिएशन के सचिव राम किशोर प्रसाद सिंह ने दावा किया कि एनएफ रेलवे के विभिन्न सेक्शन में स्वचालित सिग्नल प्रणाली लागू तो कर दी गई, लेकिन प्रशिक्षण की व्यवस्था कड़ाई से लागू नहीं हुई। स्टेशन मास्टर को भी यह प्रशिक्षण नहीं मिलता है। ऐसे में सिग्नल में खराबी आने के बाद जब पूरे सेक्शन के लाल सिग्नल को पार करने के लिए मालगाड़ी के लोको पायलट को अधिकार पत्र दिया गया तो उससे गलती संभव है। गलती तो स्टेशन मास्टर के स्तर पर भी दिख रही है, लेकिन जब उन्हें प्रशिक्षण ही नहीं दिया गया तो सिर्फ वही दोषी कैसे हो सकते हैं?
प्रशिक्षण को लेकर रेलवे ने कही ये बात
उधर, एसोसिएशन के इस आरोप को कटिहार मंडल के डीआरएम सुरेंद्र कुमार और एनएफ रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सब्यसाची दे ने बेबुनियाद बताया। उन्होंने दावा किया कि प्रशिक्षण दिया गया है। अब दुर्घटना हो गई है तो तरह-तरह की बातें की जा रही हैं। जब डीआरएम से पूछा गया कि कितने दिनों का प्रशिक्षण दिया जाता है और कब दिया गया तो उन्होंने कहा कि इस बारे में बाद में बताएंगे।