जानें पवित्र कार्तिक मास में क्या करें और क्या न करें

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कार्तिक मास शुरू हो गया है और इसे सभी मासों में सबसे ज्यादा उत्तम माना गया है क्योंकि इस मास में भगवान विष्णु निद्रा से जागते हैं और अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं।

इस मास में भगवान विष्णु पृथ्वी पर अपने भक्तों के बीच जल में निवास करते हैं। स्कंद पुराण के अनुसार, इस माह में ही भगवान शिव के पुत्र कुमार कार्तिकेय ने तारकासुर का वध किया था। इस मास में ब्रह्म मुहूर्त में उठाकर स्नान करने से सभी तीर्थों का फल प्राप्त होता है, इसके साथ ही दीपदान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में इस मास को बहुत पवित्र माना गया है और इस मास को मोक्ष का द्वार कहकर संबोधित किया है। साथ ही यह भी बताया गया है कि इस मास में क्या करना चाहिए और क्या नहीं।

1 – मोक्ष की होती है प्राप्ति:
कार्तिक मास में पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए। अगर नदियों में स्नान करना संभव ना हो तो घर के जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें और भगवान विष्णु का ध्यान करें। पद्मपुराण में बताया गया है कि ऐसा करने से भी तीर्थ स्नान के समान फल और मोक्ष की भी प्राप्ति होती है।

2 – सुख-शांति के लिए करें तुलसी पूजा:
शास्त्रों में कार्तिक मास में तुलसी की पूजा और सेवन करने का विशेष महत्व बताया है। तुलसी पर मां लक्ष्मी व कुबेर की कृपा प्राप्त होती है। इस मास में सुबह-शाम तुलसी की पूजा करने से घर में सुख-शांति का वास होता है और संपन्नता आती है। कार्तिक मास में हर रोज सुबह-शाम नदी या तालाब में दीप प्रवाहित करना चाहिए। अगर नदी-तालाब न हों तो तुलसी के साथ शालीग्राम की भी पूजा करें।

3 – हर रोज जलाएं दीपक:
कार्तिक मास में हर रोज संध्याकाल में भगवान विष्णु के नाम को स्मरण करके तिल के तेल का दीपक जलाने से भी समृद्धि और मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही बेड व खटिया पर सोने के बजाय भूमि पर बिस्तर लगाकर सोना चाहिए। ऐसा करने से मानसिक शांति के साथ क्रोध व अहंकार दूर होता है। इसके साथ ही आत्मा की भी शुद्धि होती है।

4- दान देने से मिलता है यह फल:
कार्तिक मास में दान का विशेष महात्म्य बताया गया है। इस मास में दिया गया दान अन्य माह के अपेक्षा अधिक पुण्यदायी माना गया है। इस मास का दान कई जन्मों तक शुभ फल देता है। इसके साथ ही हर रोज उगते सूर्य को जल देना चाहिए और सभी देवी-देवताओं का आदर करना चाहिए।

5- इनकी सफाई करने से बनते हैं धनवान :

कार्तिक मास में मंदिर, नदी के घाटों की सफाई करने वाला व्यक्ति अगले जन्म में बहुत धनवान बनता है। ऐसे व्यक्ति का देवता भी आदर करते हैं और वह लोक-परलोक में सम्मान प्राप्त करता है। भगवान कृष्ण ने देवी सत्यभामा को बताया था कि कार्तिक माह में मंदिरों की सफाई करने की वजह से ही उनको धन संपदा का सुख प्राप्त हुआ है।

6- शिव पुत्र की करें पूजा :
कार्तिक मास के स्वामी भगवान शिव के पुत्र कुमार कार्तिकेय हैं इसलिए इस माह कार्तिकेय की पूजा करनी चाहिए। क्योंकि इन्हीं के नाम पर यह मास पड़ा है। इस माह में कुमार कार्तिकेय ने देवताओं के सेनापति बनकर तारकासुर का वध किया और देवताओं को फिर से स्वर्ग की सत्ता सौंपी थी।

7-ब्रह्मचर्य का करें पूरी तरह पालन:
कार्तिक मास में भगवान विष्णु दामोदर व नारायण रूप में पूजे जाते हैं। इसलिए इस मास में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और बुरे विचारों से दूर रहना चाहिए। इस मास में सदाचार का पाल करना चाहिए और किसी का भी अपमान नहीं करना चाहिए। गरीबों और जरूरतमंद की मदद के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।

8- इसका सेवन करने से बचें :
कार्तिक मास में भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप में अवतार लिया था और सभी वेदों की रक्षा की थी। इसलिए इस मास में मछली के साथ-साथ अंडा, मास और मदिरा जैसे तामसिक भोजन से परहेज रखना चाहिए। इसको आदत बना लें और शाकहारी भोजन करें तो जीव-जंतुओं की कृपा भी प्राप्त होती है। इसके साथ ही इस माह बैंगन, उड़द, चना, मूंग, मसुर, मटर और द्विदलन अर्थात जो अनाज दो भागों में बंटे हों। उनका भी सेवन नहीं करना चाहिए।

9- . तेल लगाना वर्जित: 
कार्तिक महीने में शरीर पर तेल लगाने की भी मनाही होती है. कार्तिक महीने में केवल एक बार नरक चतुर्दशी के दिन ही शरीर पर तेल लगाना चाहिए.

10- दीपदान करें :
इस माह में भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी, यमदेव और पीपल देव के समक्ष और जलाशयन दीपक जलाने से सभी तरह के संकट मिट जाते हैं और घर में सुख शांति आती है। साथ ही नदी में दीपक प्रवाहित करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। दीपदान करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।

11 – माता लक्ष्मी को भोग लगाएं :
माता लक्ष्मी को खीर पसंद है। इस माह में उन्हें प्रतिदिन खीर का भोग लगाने से धन की हानि नहीं होती है और धन समृद्धि बढ़ती हैं। इसी माह में दीपावली के दिन माता की विशेष पूजा होती है।

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