ब्रिटेन (UK) में महारानी एलिज़ाबेथ ने लिज ट्रस (Liz Truss) को प्रधानमंत्री (PM) पद के लिए नियुक्त कर दिया है.
लिज ट्रस ने प्रधानमंत्री के तौर पर बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) का स्थान लिया है. कंजरवेटिव पार्टी के नेतृत्व के इस मुकाबले में लिज ट्रस (Liz Truss) भले ही ऋषि सुनक (Rishi Sunak) से जीत गईं लेकिन ब्रिटेन में मौजूद भारतीय समुदाय के लिए ऋषि सुनक की प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी ने भी एक नई उम्मीद जगाई है. NDTV ने बात की ब्रिटेन के भारतीय समुदाय (India Community) से और जाना कि ऋषि सुनक के चुनावी मुकाबले और उनकी हार को वो किस तरह से देखते हैं?
ब्रिटेन में हरियाणा- यूके एसोशिएन के प्रेसिडेंट कुलदीप अहलावत ने कहा, “मेरा मानना है कि ऋषि सुनक के प्रधानमंत्री नहीं बन पाए लेकिन उन्होंने बहुत अच्छी लड़ाई लड़ी. भारतीय समुदाय के लिए यह बहुत गर्व की बात की है कि वो दूसरे स्थान पर पहुंचे. इस मुहिम को कोई ना कोई आगे ले जाएगा. ऋषि सुनक बहुत अधिक अंतर से नहीं हारे हैं . मुझे लगता है कि आने वाले समय में वो ज़रूर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनेंगे.”
वहीं ब्रिटेन में 10 साल से एंटरप्रिन्योर और एजुकेशनिस्ट के तौर पर काम कर रहे सज्जन सिंह ने कहा कि ऋषि सुनक ने आने वाली पीढ़ी के लिए एक नया रास्ता खोला है. उन्होंने कहा, “मैं ऋषि सुनक को बधाई देता हूं कि वो ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद के लिए लड़े. उन्होंने आगे आने वाली नई पीढ़ी के लिए रास्ता खोला है. भारतीय समुदाय में यह उम्मीद जागी है कि आगे आने वाले समय में ऋषि सुनक या कोई और भी भारतीय मूल का व्यक्ति ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बन सकता है.”
सज्जन सिंह ने ब्रिटिश समाज की खासियत बताते हुए कहा, “ब्रिटेन का समाज सबको स्वीकार करके चलने वाला है. यहां इतना मजबूत लोकतंत्र है कि कोविड नियमों की एक छोटी सी गलती के कारण प्रधानमंत्री को भी इस्तीफा देना पड़ा. भारत भी इससे सीख सकता है.”
वहीं दक्षिणी-पूर्वी इंग्लैंड के रीडिंग में रहने वाले विवेक को ऋषि सुनक (Rishi Sunak) के ब्रिटेन का प्रधानमंत्री ना बन पाने का बहुत दुख है. वह कहते हैं, ” मुझे लगता है कि ऋषि (Rishi) इस पद के लिए अधिक योग्य और प्रतिबद्ध थे,उन्होंने जमीन पर भी काम किया है. मुझे लगता है कि लिज़ (Liz Truss) और बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) में बहुत अधिक फर्क नहीं है. मुझे लगता है कि ऋषि सुनक लिज ट्रस की तुलना में महंगाई, वैश्विक मुद्दों जैसे क्षेत्रों को अधिक सहजता से संभाल सकते थे. और आम जनता को आवाज़ दे सकते थे.”
उधर लंदन के किंग्स कॉलेज में पॉलिटिक्स, फिलॉसफी एंड इकॉनमिक्स के स्टूडेंट भूमित देसवाल कहते हैं, ” मुझे पूरा विश्वास है कि भारत के बहुत से लोग ऋषि सुनक को प्रधानमंत्री बनते देखना चाहते थे. ऋषि सुनक की चुनावी कैंपेन बहुत ज़ोर-शोर से शुरू हुई थी लेकिन उनकी कई नीतियों को कुछ लोगों ने शायद पसंद नहीं किया.”
आगे भूमित देसवाल कहते हैं, “अगर ऋषि सुनक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बन जाते तो यह ऐतिहासिक ज़रूर होता लेकिन इससे भारतीय समुदाय के लोगों पर बहुत अधिक फर्क नहीं पड़ता. लेकिन फिर भी भारतीयों को इस बार पर गर्व होना चाहिए कि उन्होंने प्रधानमंत्री पद के लिए लड़ाई लड़ी और अपनी हार को सम्मानपूर्वक स्वीकार किया. साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि वो लिज ट्रस का अपनी क्षमता अनुसार पूरा सहयोग देंगे.”
उधर लंदन में रहने वाले पंकज तिवारी ने कहा कि ब्रिटेन के इन चुनावी नतीजों से उन्हें निराशा हुई है लेकिन यह ब्रिटेन के उपनिवेशकाल से आगे बढ़ने की गवाही देते हैं. उन्होंने कहा, “मैं उम्मीद कर रहा था कि ऋषि सुनक जीतेंगे. नतीजों से मुझे निराशा हुई है. ऋषि सिद्धांतों पर चलने वाले व्यक्ति हैं. उन्होंने कोविड के समय ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को बेहतर दिशा दी. अगर ऋषि जीत जाते तो भारत और ब्रिटेन के बीच संबंध और अधिक सुधरते. मुझे लगता है कि इन चुनावों के नतीजे, ब्रिटेन को उसके उपनिवेशवाद काल से आगे ले गए हैं क्योंकि ऋषि को 42.6 % कंजरवेटिव वोट मिले हैं.”
ब्रिटेन की अमेरिका से तुलना करते हुए पंकज कहते हैं, “मुझे लगता है कि ब्रिटेन अभी अमेरिका की तरह अपने “ओबामा मूमेंट” के लिए तैयार नहीं है. ऋषि ने शायद सही समय से एक पीढ़ी पहले चुनाव लड़ लिया है. शायद आने वाले सालों में यह संभव हो सके कि एक भारतीय मूल का व्यक्ति ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बने.”