खालिस्तानी नेता अमृतपाल सिंह को पकड़ने के लिए पंजाब पुलिस का व्यापक अभियान, फाइनेंसर गुरुग्राम से गिरफ्तार
सूत्रों के मुताबिक, पंजाब पुलिस राज्य के कट्टरपंथी उपदेशक और “वारिस पंजाब दे” के प्रमुख अमृतपाल सिंह की लगातार तलाश कर रही है.
हालांकि अभी तक अमृतपाल सिंह की गिरफ़्तारी नहीं हो सकी है. अमृतसर, फाजिल्का, मोगा और मुक्तसर समेत पंजाब के कई जिलों में धारा 144 लगाई गई है. पंजाब पुलिस ने शनिवार को एक बयान में कहा कि, खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह के 78 करीबियों को गिरफ्तार किया गया है. सात जिलों की पुलिस ने उस स्थान को घेर रखा है, जहां अमृतपाल के छुपे होने की संभावना है. जालंधर के शाहकोट के गांव महेतपुर के पास अमृतपाल सिंह और उनके साथियों की पुलिस ने घेराबंदी की थी.
पुलिस को अमृतपाल सिंह के शाहकोट आने की पहले से सूचना थी. इसीलिए पहले से ही मोगा पुलिस ने मोगा और शाहकोट के सारे रोड बंद करके बड़ा नाका लगा दिया था. पुलिस ने उसके छह साथियों को पहले पकड़ा लिया था. शाम को बाकी लोगों को गिरफ्तार किया गया. प्रशासन ने एहतियात बरतते हुए पंजाब के कई इलाकों में कल रात में 12 बजे से ही इंटरनेट को बंद कर दिया था. सूत्रों का कहना है कि जी-20 के कारण सरकार ने अमृतपाल सिंह पर कार्रवाई करने का इंतजार किया.
खालिस्तान समर्थक संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ के प्रमुख अमृतपाल सिंह के खिलाफ तीन केस दर्ज हैं जिनमें से दो मामले अमृतसर जिले के अजनाला थाने में हैं. अपने एक करीबी की गिरफ्तारी से नाराज होकर अमृतपाल ने 23 फरवरी को समर्थकों के साथ मिलकर अजनाला थाने पर हमला कर दिया था. इस केस में उस पर कार्रवाई नहीं होने के पर पंजाब पुलिस की काफी आलोचना हो रही थी.
अपने प्रमुख सहयोगी लवप्रीत सिंह की गिरफ्तारी के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करके अमृतपाल सिंह ने अपने कार्यकर्ता को पुलिस से छुड़ा लिया था. अक्सर सशस्त्र समर्थकों द्वारा घिरे रहने वाला कट्टरपंथी उपदेशक और खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह पंजाब में कुछ अरसे से सक्रिय है. अमृतपाल सिंह “वारिस पंजाब दे” का प्रमुख है. यह अभिनेता और कार्यकर्ता दीप सिद्धू द्वारा शुरू किया गया एक कट्टरपंथी संगठन है. सिद्धू की पिछले साल फरवरी में एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी.
तूफान सिंह के खिलाफ “झूठा मामला” दर्ज किया था, इसलिए वह और सैकड़ों “वारिस पंजाब दे” समर्थक अमृतसर के अजनाला में पुलिस से मिलने गए थे. वहां लवप्रीत सिंह को रखा गया था. अमृतपाल सिंह ने एनडीटीवी से कहा था, “मीडिया पूरे मामले को गलत तरीके से पेश कर रहा है. लवप्रीत सिंह के खिलाफ एक झूठी प्राथमिकी (FIR) दर्ज की गई थी. पुलिस ने लाठीचार्ज करने से पहले हमारे वाहनों को रोक दिया.”
उसने कहा था कि, “अगर पुलिस ने लोगों पर लाठीचार्ज नहीं किया होता तो हिंसा नहीं होती.” उसने इन आरोपों का खंडन किया था कि पुलिस कार्रवाई से बचने के लिए उसने सिखों के पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब का इस्तेमाल किया. सिंह ने कहा, “हम जहां भी जाते हैं, गुरु ग्रंथ साहिब की पालकी आगे बढ़ती है.”