पीएम मोदी ने स्वंतत्रता दिवस पर दिए भाषण में दिखाई बदलते भारत की झलक, तय किए बड़े लक्ष्य

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भारत के 77वें स्वतंत्रता दिवस पर मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित किया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 90 मिनट के लंबे भाषण में देश की जनसंख्या को अपनी सबसे बड़ी ताकत के रूप में पेश किया. उन्होंने कहा कि यह कोई समय बर्बाद किए बिना मूल्यों के आसपास केंद्रित विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ने का वक्त है. पीएम मोदी ने लोगों से आशीर्वाद मांगते हुए कहा कि 2047 में देश जब स्वतंत्रता के 100 साल का जश्न मनाए, तो हमारे देश का तिरंगा दुनिया में विकसित देश की पहचान के साथ लहराए. इसके लिए आने वाले 5 साल को उन्होंने महत्वपूर्ण बताया.

पीएम मोदी का यह भाषण अगले महीने नई दिल्ली में आयोजित होने वाले जी-20 नेताओं के शिखर सम्मेलन से पहले अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए एक संदेश था. पीएम का भाषण 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विभिन्न सामाजिक समूहों, छात्रों, महिलाओं, देश के बढ़ते मध्यम वर्ग और वंचित वर्गों के लिए एक आउटरीच भी था.

लाल किले की प्राचीर से पीएम मोदी अपने भाषण के जरिए अपनी सरकार, पार्टी और राष्ट्र के लिए लक्ष्य निर्धारित करते रहे हैं. इस बार प्रधानमंत्री ने राष्ट्र चेतना और राष्ट्र चरित्र पर बड़े पैमाने पर ध्यान केंद्रित किया. उन्होंने दोनों का उद्देश्य विश्वकल्याण बताया. प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में मणिपुर में हुई हिंसा का जिक्र किया. उन्होंने भाषण के शुरुआत में कहा- “मणिपुर में मां-बेटियों के सम्मान के साथ खिलवाड़ हुआ. लोगों की जान गई. कुछ दिनों से लगातार शांति की खबरें आ रही हैं. पूरा देश मणिपुर के लोगों के साथ है. शांति के प्रयास किए जा रहे हैं.” यह एक महत्वपूर्ण संदर्भ है, क्योंकि विपक्ष प्रधानमंत्री पर मणिपुर हिंसा पर पर्याप्त नहीं बोलने का आरोप लगाता रहा है.

इस बार पीएम के भाषण का फोकस पर्यावरण भी था. पीएम मोदी ने अपने भाषण में न सिर्फ इस साल प्राकृतिक आपदाओं के कारण खोए गए जीवन और आजीविका को याद किया. बल्कि उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश सहित कई राज्यों में आए बाढ़, लैंडस्लाइड के बारे में भी बातें की. उन्होंने कहा कि यह भारत ही था, जिसने जी-20 में ‘एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य’ और पर्यावरण को बचाने के लिए जीवन शैली पर जोर दिया. यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि जहां जी 20 बैठकों का जोर आम सहमति वाले बयान लाने पर रहा है. वहीं, भारत विशेष रूप से विकासशील देशों के मुद्दों को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहा है. हमारे कार्बन उत्सर्जन को कम करने और ऊर्जा के नवीकरणीय रूपों को बढ़ावा देने की जरूरत है.

प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी नौकरशाही की प्रशंसा भी की. उन्होंने कहा कि ब्योरोक्रेसी ने ट्रांसफॉर्म करने के लिए परफॉर्म करने की जिम्मेदारी बखूबी निभाई. इससे जनता जनार्दन जुड़ गया. मोदी ने कोविड वैक्सीनेशन की सफलता के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और आशा कार्यकर्ताओं को क्रेडिट दिया और उन्हें बधाई भी दी. इसके साथ ही पीएम ने सुप्रीम कोर्ट को क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए उनका शुक्रिया भी अदा किया. पीएम मोदी ने जब सुप्रीम कोर्ट की तरफ से स्थानीय भाषा में जजमेंट का ऑपरेटिव बात का जिक्र किया, तो सीजेआई वहीं मौजूद थे. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने पीएम मोदी की इस बात पर हाथ जोड़कर अभिवादन किया.

मोदी के भाषण में ब्यूरोक्रेसी और सुप्रीम कोर्ट की तारीफ खास तौर पर दिलचस्प है, क्योंकि ब्यूरोक्रेसी को प्रशासनिक नियंत्रण पर जोर देने के साथ पीएम की कार्यशैली के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. मोदी सरकार के कई मंत्री पहले कुशल नौकरशाह रहे हैं.

पीएम के भाषण में मुख्य बिंदु नारीशक्ति, सामाजिक न्याय, युवा शक्ति, परिवारवाद (वंशवाद के नेतृत्व वाली राजनीति), भ्रष्टाचार, तुष्टिकरण, आधुनिकता का इस्तेमाल (प्रौद्योगिकी और बुनियादी ढांचे के संदर्भ में) थे. क्योंकि उन्होंने अपने गवर्नेंस मॉडल को पेश करने के लिए इन शब्दों को कई बार इस्तेमाल किया. पीएम ने कहा, “हम नैनो तकनीक में प्रगति कर रहे हैं, लेकिन हम जैविक खेती को बढ़ाने के लिए भी काम कर रहे हैं.”

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