Delhi Air Pollution: दिल्ली-NCR में और जहरीली हुई हवा, डराते हैं प्रदूषण के ये आंकड़े

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सैटेलाइट तस्वीरों में दिल्ली-एनसीआर की जगह प्रदूषण के चलते लाल और पीले रंग का दिख रहा है. दिल्ली और आसपास के इलाके में हवा की गति न के बराबर होने के चलते मंगलवार को औसतन AQI 500 को पार गया.

ये खतरनाक की श्रेणी में आता है. अगर बीते तीन दिनों के आंकड़ों को देखें तो, आनंद विहार में 31 अक्टूबर को PM 2.5 औसतन 407 था. 30 अक्टूबर को 405 और 29 तारीख को 411 था.

मंगलवार को दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण ने रिकॉर्ड तोड़ दिया. दिल्ली में जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स 594 पर पहुंच गया. वहीं नोएडा में AQI 444 पर है. गुरुग्राम में 391 वहीं गाजियाबाद में 407 पर है. फरीदाबाद का AQI 427 नोट किया गया है.

दिल्ली के प्रदूषण में पराली की क्या हिस्सेदारी है, ये समझने के लिए हम मौसम विभाग के पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने के लाल पॉइंट को देख सकते हैं. इन लाल पॉइंट के साथ ही दिल्ली-एनसीआर और पूरे पश्चिमी यूपी के ऊपर स्मॉग की एक परत दिख रही है.

मौसम विभाग के मुताबिक, पंजाब में 30 अक्टूबर को पराली जलाने के 1761 मामले थे. 31 अक्टूबर 2131 मामले सामने आए. पिछले साल पंजाब में पराली जलाने के 13269 मामले थे. जबकि हरियाणा में 30 अक्टूबर को 112 मामले और 31 अक्टूबर को 70 मामले सामने आए.

मौसम विभाग के सीनियर साइंटिस्ट डॉक्टर वीके सोनी के मुताबिक, दिल्ली एनसीआर में दो दिन बाद हालात में बेहतरी आ सकती है. डॉक्टर वीके सोनी ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में बुधवार को भी AQI खराब रह सकता है. फिलहाल हवा किसी एक रुख में न होने के चलते ये स्थिति बनी हुई है.

दिल्ली एनसीआर में स्मॉग की ये चादर लोगों को बीमार कर रही है. डॉक्टरों के मुताबिक, इन दिनों छोटे बच्चे, अस्थमा और सांस के मरीजों समेत हार्ट और लंग की बीमारी से जूझ रहे मरीज बाहर निकलते समय कुछ एहितायत बरते. ऐसे मरीज हो सके तो बाहर न निकले. अगर निकलना जरूरी है तो N95 मास्क लगाकर निकले. पानी खूब पिए और फल का सेवन ज्यादा करें. अस्थमा के मरीज अपनी दवा हर वक्त अपने साथ रखें.

पर्यायवरणविद् तनुश्री गांगुली कहती हैं, ‘बढ़ते प्रदूषण के चलते सरकार ने ग्रेडेट रिस्पांस सिस्टम थ्री को लागू कर दिया है. जिसके तहत डीजल से चलने BS4 गाड़ियों पर भी पाबंदी है. लेकिन पराली जलाने की समस्या को दूर करने के लिए अब भी सरकार को काफी कुछ करना है. पंजाब में पराली करीब 20 लाख टन होता है, लेकिन पराली का फैक्ट्रियों में उपयोग दो फीसदी से भी कम है. सरकार कई नई योजनाएं लेकर आई है, लेकिन किसानों को जागरूक करने के लिए अभी बहुत कुछ करना है.

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