श्रीलंका में 51 दिनों से आंदोलन जारी, पुलिस ने उग्र प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर दागे आंसू गैस के गोले

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श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे (Sri Lankan President Gotabaya Rajapaksa) के इस्तीफे की मांग को लेकर लगातार विरोध प्रदर्शन जारी है.

रविवार को भी हजारों छात्र उनके आवास पर पहुंचकर उग्र प्रदर्शन (Protest in Sri Lanka) करने लगे. भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े. दंगा रोधी दस्तों ने आंसू गैस के बाद पानी की बौछार का भी इस्तेमाल किया.

हजारों पुरुषों और महिलाओं ने राजपक्षे के समुद्र तट स्थित कार्यालय के बाहर 51वें दिन भी प्रदर्शन किया और अपने पद से इस्तीफा देने की मांग की. प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि आजादी के बाद से देश सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है.

वहीं प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने रविवार शाम नेशनल टेलीविजन पर प्रदर्शनकारियों से शांति बनाए रखने की अपील की. विक्रमसिंघे ने 15 समितियों की योजना की जानकारी देते हुए कहा, “ये कमेटी राष्ट्रीय नीतियों को तय करने के लिए संसद के साथ मिलकर काम करेगी. युवा मौजूदा व्यवस्था में बदलाव में हमारा साथ दें.”

प्रधानमंत्री ने कहा, “मैं 15 समितियों में से प्रत्येक में चार युवा प्रतिनिधियों को नियुक्त करने का प्रस्ताव करता हूं,” उन्होंने कहा कि उन्हें मौजूदा प्रदर्शनकारियों में से लिया जा सकता है.

प्रदर्शनों के कारण राजधानी कोलंबो में तनावपूर्ण माहौल हैं. बड़ी भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस अधिकारी काफी संघर्ष कर रहे हैं. कई लोग पुलिस के छोड़े गए आंसू गैस के कनस्तरों को उठाकर वापस पुलिस की ओर फेंकते हुए देखे गए. अब महिला चिकित्सा और विज्ञान के छात्र भी इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हो गए हैं.

प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे, गोटाबाया राजपक्षे की पार्टी से नहीं हैं, लेकिन राष्ट्रपति के बड़े भाई महिंदा राजपक्षे के 9 मई को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने और किसी अन्य के ये जिम्मेदारी नहीं उठाने के बाद उन्हें यह पद दिया गया.

विक्रमसिंघे कभी एक शक्तिशाली राजनीतिक ताकत रही यूनाइटेड नेशनल पार्टी के एकमात्र संसदीय प्रतिनिधि हैं, जिसका श्रीलंका के पिछले चुनावों में लगभग सफाया हो गया था. राजपक्षे की पार्टी, जिसके पास विधायिका में बहुमत है, उन्होंने विक्रमसिंघे को सरकार चलाने के लिए आवश्यक समर्थन देने की पेशकश की है.

रविवार को भी छात्रों और युवाओं सहित सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति के सरकारी आवास को घेर लिया, जिसके बाद सुरक्षाकर्मियों के साथ उनकी झड़प हो गई. श्रीलंका में विदेशी मुद्रा भंडार में कमी के कारण सबसे आवश्यक आपूर्ति भोजन, ईंधन और दवा की समस्या चरम पर है. सरकार ने पिछले महीने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से तत्काल वित्तीय सहायता मांगी थी, जिसपर अभी बातचीत जारी है.

श्रीलंका अपने 51 अरब डॉलर के विदेशी कर्ज में डिफॉल्टर साबित हो चुका है. इस साल अमेरिकी डॉलर के मुकाबले श्रीलंका की मुद्रा में 44.2 फीसदी की गिरावट आई है, जबकि पिछले महीने मुद्रास्फीति रिकॉर्ड 33.8 फीसदी पर पहुंच गई थी.

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