बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विपक्षी एकजुटता पर दिल्ली जाने से पहले ही ग्रहण लगना शुरू हो गया है।
दरअसल, तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर से नीतीश की बात नहीं बनी। जबकि, जदयू और राजद ने दावा किया था कि केसीआर की पटना आकर नीतीश और तेजस्वी से मुलाकात विपक्षी एकता की शुरुआत है। लेकिन, जदयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने रविवार को कहा, चंद्रशेखर राव चाह रहे हैं कि देश में भाजपा के खिलाफ जो मोर्चा बने उसमें कांग्रेस नहीं हो। जदयू का स्पष्ट मानना है कि कांग्रेस और वाम दलों को छोड़ कर भाजपा विरोधी कोई मोर्चा नहीं बनाया जा सकता।
उधर, 2024 लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री की उम्मीदवारी के लिए नीतीश के मंसूबों पर ममता बनर्जी ने पानी फेरने की तैयारी कर ली है। पार्टी नेताओं के अनुसार, ममता के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस लोकसभा चुनाव अकेले लड़ सकती है। तेलंगाना के सीएम और टीआरएस नेता के. चंद्रशेखर राव ने अपना स्टैंड क्लीयर रखा है कि वह बिना कांग्रेस के तीसरा मोर्चा बनाना चाहते हैं, जिसमें तमाम क्षेत्रीय पार्टियां शामिल हों। राव ने नीतीश के सामने भी यही प्रस्ताव रखा। लेकिन, नीतीश कांग्रेस के बगैर कोई मोर्चा बनाने पर राजी नहीं हुए। अब नीतीश राहुल और सोनिया गांधी के दरबार में हाजिरी लगाएंगे और विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने की कोशिश करेंगे।
2024 में प्रधानमंत्री की उम्मीदवारी के लिए नीतीश के मंसूबों पर ममता बनर्जी ने पानी फेरने की तैयारी कर ली है। पार्टी नेताओं के अनुसार, ममता के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस लोकसभा चुनाव अकेले लड़ सकती है। तेलंगाना के सीएम ने भी अपना स्टैंड क्लीयर रखा है कि वह बिना कांग्रेस के तीसरा मोर्चा बनाना चाहते हैं।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विपक्षी एकजुटता पर दिल्ली जाने से पहले ही ग्रहण लगना शुरू हो गया है। दरअसल, तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर से नीतीश की बात नहीं बनी। जबकि, जदयू और राजद ने दावा किया था कि केसीआर की पटना आकर नीतीश और तेजस्वी से मुलाकात विपक्षी एकता की शुरुआत है। लेकिन, जदयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने रविवार को कहा, चंद्रशेखर राव चाह रहे हैं कि देश में भाजपा के खिलाफ जो मोर्चा बने उसमें कांग्रेस नहीं हो। जदयू का स्पष्ट मानना है कि कांग्रेस और वाम दलों को छोड़ कर भाजपा विरोधी कोई मोर्चा नहीं बनाया जा सकता।
उधर, 2024 लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री की उम्मीदवारी के लिए नीतीश के मंसूबों पर ममता बनर्जी ने पानी फेरने की तैयारी कर ली है। पार्टी नेताओं के अनुसार, ममता के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस लोकसभा चुनाव अकेले लड़ सकती है। तेलंगाना के सीएम और टीआरएस नेता के. चंद्रशेखर राव ने अपना स्टैंड क्लीयर रखा है कि वह बिना कांग्रेस के तीसरा मोर्चा बनाना चाहते हैं, जिसमें तमाम क्षेत्रीय पार्टियां शामिल हों। राव ने नीतीश के सामने भी यही प्रस्ताव रखा। लेकिन, नीतीश कांग्रेस के बगैर कोई मोर्चा बनाने पर राजी नहीं हुए। अब नीतीश राहुल और सोनिया गांधी के दरबार में हाजिरी लगाएंगे और विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने की कोशिश करेंगे।
सब साथ मिलकर लड़ेंगे तो मिलेगी सफलता : नीतीश
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि एक साथ मिलकर लड़ेंगे तो सफलता मिलेगी। उन्होंने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा कि पार्टी मानती है कि जो उसके साथ है, वह सदाचारी और जो उसकी नीतियों के खिलाफ बोले वह भ्रष्टाचारी है। नीतीश रविवार को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में बोल रहे थे। सूत्रों ने कहा कि कई राज्यों में विपक्षी नेताओं के भाजपा में शामिल होने के संदर्भ में नीतीश ने आश्चर्य जताया कि क्या दूसरे दलों के नेताओं को तोड़ना भ्रष्टाचार नहीं है।
… और फिर पलट गए नीतीश
नीतीश कुमार ने शनिवार को कहा था कि अगर विपक्षी पार्टियां भाजपा के खिलाफ एकजुट हो जाएं तो 2024 में 50 सीटों पर भाजपा सिमट जाएगी। रविवार को वह पलट गए। कार्यकारिणी बैठक के बाद उन्होंने कहा कि कोई संख्या की बात तो नहीं है, लेकिन अगर विपक्ष एकजुट हो जाए तो केंद्र में भाजपा को सत्ता से बाहर कर सकता है। उन्होंने कहा, अब भविष्य में कभी भाजपा से जदयू का समझौता नहीं हो सकता है।
विपक्षी एकता बनाने निकले नीतीश पहले समाजवादी कुनबे को साधेंगे
राजग से नाता तोड़ने के बाद भाजपा मुक्त भारत का आह्वान कर नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय राजनीति में हाथ आजमाने का स्पष्ट संदेश दे दिया है। खुद के नेतृत्व में विपक्षी दलों को भाजपा के खिलाफ एकजुट करने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री सबसे पहले समाजवादी कुनबे को साधना चाहते हैं। उसके बाद क्षेत्रीय दलों को साधेंगे। इस कड़ी में सोमवार से उनका तीन दिवसीय दिल्ली प्रवास बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
नीतीश ऐसे समय में विपक्ष के नेता के रूप में अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं, जब राहुल गांधी की अगुवाई में कांग्रेस सात सितंबर से भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत कर रही है। विपक्षी दलों के नेतृत्व की महत्वाकांक्षा पालने वाले दल मसलन तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और टीआरएस जैसे दल फिलहाल नीतीश की इस मुहिम पर चुप्पी साधे हुए हैं।
विपक्षी दलों के रुख पर रहेगी नजर
नीतीश के दिल्ली प्रवास पर सबकी निगाहें टिकी हैं। वह इसलिए कि राष्ट्रीय राजनीति में हाथ आजमाने की घोषणा के बाद नीतीश की बिहार के बाहर यह पहली यात्रा होगी। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि इन तीन दिवसीय प्रवास में उनकी किन-किन दलों के नेताओं से मुलाकात होती है और दूसरे दलों का नीतीश के प्रति क्या रुख रहता है?
पवार से मुलाकात होगी अहम
दिल्ली प्रवास में नीतीश की एनसीपी प्रमुख शरद पवार से होने वाली मुलाकात अहम है। दोनों नेता संभवत: बुधवार को मिलेंगे। पवार अरसे से ममता बनर्जी और चंद्रशेखर राव के जरिए विपक्ष को एकजुट करने की मुहिम पर हैं. इस मुलाकात में विपक्षी एकता के फार्मूले पर बातचीत होगी। पवार के कांग्रेस समेत सभी क्षेत्रीय दलों के नेताओं से बेहतर रिश्ते हैं। ऐसे में नीतीश अपनी दावेदारी मजबूत करने के लिए पवार का समर्थन हसिल करना चाहेंगे। नीतीश की उद्धव ठाकरे और राहुल गांधी से भी मिलने की संभावना है।