गुजरात के मोरबी शहर की एक अदालत ने बुधवार को ओरेवा समूह के प्रबंध निदेशक जयसुख पटेल को यहां पुल ढहने से जुड़े एक मामले में सात दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया.
पिछले साल 30 अक्टूबर को गुजरात के मोरबी शहर में पुल के टूट जाने से कम से कम 135 लोगों की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे.
जयसुख पटेल ने मंगलवार को एक अदालत में आत्मसमर्पण किया था. पुलिस ने बताया था कि इसके बाद पटेल को शाम में गिरफ्तार कर लिया गया था. मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने पटेल को आठ फरवरी तक मामले की जांच के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) की हिरासत में भेज दिया.
सरकारी वकील संजय वोरा ने संवाददाताओं को बताया कि एसआईटी ने 14 दिन की रिमांड मांगी थी.
पटेल की कंपनी पर पुल के संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी थी. पटेल ने उस अदालत के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था, जिसने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था.
वोरा ने कहा अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि रखरखाव के तहत कंपनी ने पुल की जंग लगी केबलों को बदलने के बजाय केवल उसकी मरम्मत की.
पुलिस द्वारा 27 जनवरी को दाखिल आरोप पत्र में पटेल को दसवें आरोपी के रूप में नामजद किया गया था. अजंता मैन्युफैक्चरिंग लिमिटेड (ओरेवा ग्रुप) मोरबी में मच्छू नदी पर ब्रिटिश काल के झूलता पुल के संचालन और रखरखाव के लिए जिम्मेदार थी, जो मरम्मत के कुछ दिनों बाद पिछले साल 30 अक्टूबर को टूट गया था.
पुल टूटने की घटना के एक दिन बाद 31 अक्टूबर को पुलिस ने मामले में नौ लोगों को गिरफ्तार किया था, जिनमें ओरेवा समूह के दो प्रबंधक, टिकट बेचने वाले दो क्लर्क, पुल की मरम्मत करने वाले दो उप-ठेकेदार और भीड़ प्रबंधन करने वाले तीन सुरक्षा गार्ड थे.
पटेल सहित सभी दस आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या), 308 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास), 336 (मानव जीवन को खतरे में डालने वाला कृत्य), 337 (किसी को चोट पहुंचाना) और 338 (लापरवाही करके किसी को गंभीर चोट पहुंचाना) के तहत आरोप लगाया गया था.