केंद्र सरकार ने बुधवार को जिस अलगाववादी संगठन मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर(Muslim League Jammu Kashmir) पर प्रतिबंध लगाया है।
उसका नेतृत्वकर्ता मसर्रत आलम कश्मीर में हिंसा और उग्र प्रदर्शन करने में कोई मौका नहीं छोड़ता था। उसके खिलाफ कश्मीर में विभिन्न पुलिस थानों में लगभग तीन दर्जन एफआईआर दर्ज हैं।
23 साल जेल में काटी सजा
वह लगभग 23 वर्ष जेल में रह चुका है। इसके बावजूद उसके दिमाग में कश्मीर में अशांति के लिए कोई न कोई षड्यंत्र चलता रहता है। अंतिम बार उसे वर्ष 2015 में गिरफ्तार किया गया था। पहले कुछ समय तक वह जम्मू की कोट भलवाल जेल में बंद रहा और अब बीते चार वर्ष से दिल्ली की तिहाड़ जेल में है।
मसर्रत आतंकी संगठन हिजबुल्ला का डिप्टी चीफ कमांडर भी रह चुका
52 वर्षीय मसर्रत को कश्मीर के कट्टरपंथी अलगाववादियों में अग्रिम पंक्ति का नेता माना जाता है। ईसाई मिशनरियों द्वारा संचालित कश्मीर के एक प्रतिष्ठित स्कूल का छात्र रहा मसर्रत पहले आतंकी संगठन हिजबुल्ला का डिप्टी चीफ कमांडर था। वह मुश्ताक अहमद बट उर्फ मुश्ताक उल इस्लाम उर्फ गूगा का डिप्टी था।
‘क्विट इंडिया’ के नाम पर हिंसक प्रदर्शनों का षड्यंत्रकारी
उसे वर्ष 1990 में पकड़ा गया था और तब सात वर्ष बाद 1997 में जेल से छूटा था। जेल से बाहर आते ही वह मुस्लिम लीग में शामिल होकर हुर्रियत कान्फ्रेंस में सक्रिय हो गया। इसके बाद वह फिर पकड़ा गया। अप्रैल 2008 में जेल से छूटने के बाद उसने अपने साथियों संग बैठक में ‘क्विट इंडिया’ के नाम पर हिंसक प्रदर्शनों का षड्यंत्र रचा।
इस षड्यंत्र को अमलीजामा उसने जून 2008 में श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड को बालटाल में जमीन दिए जाने के खिलाफ कश्मीर में हुए हिंसक प्रदर्शनों में पहनाया था। वर्ष 2010 में कश्मीर में हुए हिंसक प्रदर्शनों में भी उसकी प्रमुख भूमिका रही। बड़ी मुश्किल से पुलिस ने उसे श्रीनगर के हारवन में उसके एक रिश्तेदार के घर से पकड़ा था। उसकी गिरफ्तारी के बाद ही कश्मीर में हिंसक प्रदर्शनों का सिलसिला थमा था।
जिहादी मानिसकता के लिए रोल मॉडल
आईएसआई चाहती है कि मसर्रत किसी तरह गुलाम जम्मू कश्मीर आए। एक समय था जब कश्मीर में जिहादी मानिसकता के युवाओं के लिए मसर्रत आलम एक रोल मॉडल माना जाने लगा था। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर सलाहुद्दीन ने कश्मीर में हिंसक प्रदर्शन रोकने के लिए कहा था तो मसर्रत ने सलाहुद्दीन के खुलेआम पोस्टर जलाए थे।
मसर्रत को लेकर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी की इच्छा
मसर्रत को लश्कर-ए-तैयबा(Lashkar-E-Taiba) के संस्थापक हाफिज सईद( Hafiz Saeed news) का करीबी माना जाता है। उसने एक बार मीरवाइज मौलवी उमर फारूक और कुछ अन्य उदारवादी अलगाववादी नेताओं को लेकर फोन पर बातचीत में अभद्र भाषा का प्रयोग किया था। वर्ष 2010 में यह भी कहा जा रहा था कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई चाहती है कि मसर्रत आलम किसी तरह कश्मीर से निकलकर गुलाम जम्मू कश्मीर आए और यूनाइटेड जिहाद कौंसिल की कमान संभाले।