महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने 12 साल पहले ग्वालियर में जिस गेंद से अंतरराष्ट्रीय वनडे इतिहास का पहला दोहरा शतक जड़ा था, वह गेंद उन्हें इंदौर में तोहफे के रूप में प्रदान की गई है.
मध्यप्रदेश क्रिकेट संगठन (एमपीसीए) के एक अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी. गौरतलब है कि ‘रोड सेफ्टी वर्ल्ड सीरीज टूर्नामेंट’ के टी-20 मुकाबलों के सिलसिले में तेंदुलकर फिलहाल इंदौर में हैं. फटाफट क्रिकेट के प्रारूप वाली इस स्पर्धा में पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटरों से सजी अलग-अलग देशों की टीम के बीच मुकाबले हो रहे हैं और इसमें तेंदुलकर ‘इंडिया लीजेंड्स’ टीम की अगुवाई कर रहे हैं.
एमपीसीए के मुख्य क्यूरेटर समंदर सिंह चौहान ने बताया कि तेंदुलकर अभ्यास के लिए रविवार को इंदौर के होलकर स्टेडियम पहुंचे, तो वह ‘‘मास्टर ब्लास्टर” के ग्वालियर में दागे गए दोहरे शतक के कीर्तिमान से जुड़ी गेंद लेकर उनके पास पहुंचे और उनसे इस गेंद पर ऑटोग्राफ देने की गुजारिश की. उन्होंने बताया,‘‘यह गेंद देखते ही प्रफुल्लित तेंदुलकर ने मुझसे पूछा कि क्या मैं इसे उन्हें तोहफे में दे सकता हूं? मैं तुरंत सहमत हो गया क्योंकि यह मेरे लिए सौभाग्य की बात थी. अब यह गेंद उसके सही मालिक के पास पहुंच गई है.”
चौहान ने बताया कि ग्वालियर में 12 साल पहले भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच खेला गया एक दिवसीय मैच खत्म होने के बाद उन्होंने तेंदुलकर के दोहरे शतक के कीर्तिमान से जुड़ी गेंद को यादगार के तौर पर सहेज कर रख लिया था.
विकेट तैयार करने में चार दशक से ज्यादा का अनुभव रखने वाले क्यूरेटर ने बताया कि ग्वालियर के कैप्टन रूपसिंह स्टेडियम के जिस पिच पर तेंदुलकर ने यह कीर्तिमान बनाया, उसे उन्होंने ही तैयार किया था.
गौरतलब है कि ग्वालियर में 24 फरवरी 2010 को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ एक दिवसीय मुकाबले में तेंदुलकर ने 147 गेंदों पर 25 चौकों और तीन छक्कों की मदद से 200 रन की नाबाद पारी खेली थी. यह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के इस प्रारूप में पहली बार था, जब किसी खिलाड़ी ने दोहरा शतक जड़ा हो. इस मुकाबले में भारत ने दक्षिण अफ्रीका पर 153 रन के विशाल अंतर से जीत हासिल की थी और तेंदुलकर को मैच का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी घोषित किया गया था.